न्यूट्रोफिल क्या है? – What is a Neutrophil?
Neutrophils in Hindi- न्यूट्रोफिल एक सामान्य प्रकार की सफेद रक्त कोशिकाएं होती है, जो खासकर जीवाणुओं की वजह से होने वाले इंफेक्शन से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है और इसके असामान्य रूप को न्यूट्रोपेनिया कहते हैं। ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि,
न्यूट्रोपेनिया एक ऐसी बीमारी है जो असामान्य रूप से न्यूट्रोफिल की कम संख्या होने के कारण मनुष्य में होती है और इससे पीड़ित रोगी जीवाणु इंफेक्शन के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। साथ ही जब वयस्कों के रक्त में प्रति माइक्रोलिटर 1500 से कम न्यूट्रोफिल (Neutrophils in Hindi) की गणना होती है तो इसको न्यूट्रोपेनिया माना जाता है।
बच्चों में कोशिकाओं की गणना न्यूट्रोफिल की ओर संकेत करती है, लेकिन ये उनकी उम्र के अनुसार भिन्न होती है। वहीं ऐसा भी कहा जाता है कि बचपन में न्यूट्रोपेनिया अक्सर होता है, लेकिन अधिकतर मामलों में इसका इलाज आसान नहीं है।
शरीर में न्यूट्रोफिल कितना होना चाहिए? (How many neutrophils should be in the body)
एक्सपर्ट्स के अनुसार, हमारे शरीर में न्यूट्रोफिल की मात्रा 40-70 प्रतिशत के बीच होनी चाहिए। वहीं बॉडी में न्यट्रोफिल इतनी मात्रा होने पर यह हमें बीमार होने से बचा सकता है।
शरीर में न्यूट्रोफिल की मात्रा होने पर ये हमें बीमारी होने से बचा सकता है। शरीर में न्यूट्रोफिल की मात्रा 40 प्रतिशत से कम या 70 प्रतिशत से अधिक होने पर कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती है।
न्यूट्रोपेनिया के लक्षण क्या क्या है? (What is Neutropenia symptoms in hindi)
न्यूट्रोपेनिया में कोई भी लक्षण देखने को नहीं मिलते हैं, जब हम लोग रक्त जांच करवाते हैं या किसी अन्य चीज जांच करवाते हैं, तो उस समय न्यूट्रोपेनिया (Neutrophils in Hindi) का पता चलता है। न्यूट्रोपेनिया बीमारी से संबंधित निम्नलिखित लक्षण को देखने को मिलता है जो निम्नलिखित दिया गया है जैसे –
- पेट दर्द होना
- सांस लेने में दिक्कत
- तेज बुखार आना
- उल्टी-दस्त होना
- अधिक पसीना आना
- ठंड लगना
- मुंह एवं गले में दर्द होना
- खांसी होना
- दांत में दर्द रहना
- पेशाब में जलन होना आदि के लक्षण देखने को मिलते हैं।
साथ ही एक लंबे समय से बिमार से संक्रमित रहते हैं तो फेब्राइल न्यूट्रोपेनिया होने का खतरा बहुत ही अधिक बड़ जाते हैं, इसे न्यूट्रोपेनिया (Neutrophils in Hindi) सेप्सिस भी कहते हैं। ये एक प्रकार की इमरजेंसी है, जो कि कैंसर की उन मरीजोंं के लिए होती है जिन लोगों का किमोथेरेपी से इलाज चल रह होते हैं।
न्यूट्रोफिल बढ़ने का क्या कारण है (Causes of High Neutrophils in Hindi)
बॉडी में न्यूट्रोफिल की मात्रा 70 प्रतिशत से अधिक होने पर इसे मेडिकल भाला में न्यूट्रोफिलिया कहा जाता है। निम्न कारणों से शरीर में न्यूट्रोफिल बढ़ सकता है –
- गर्भवती महिलाओं में न्यूट्रोफिल अधिक होता है
- किसी प्रकार की सर्जरी होने पर न्यूट्रोफिल बढ़ने का खतरा होता है
- किसी दिन नियमित से अधिक व्यायाम करने र शरीर में न्यूट्रोफिल की मात्रा बढ़ने का खतरा होता है
- हार्ट अटैक होने या दिल का दौरा पड़ने पर न्यूट्रोफिल की मात्रा बढ़ सकती है
- जब किसी व्यक्ति को बैक्टीरियल इंफेक्शन होता है तो न्यूट्रोफिल बैक्टीरिया से लड़ता है जिस समय शरीर मे न्यूट्रोफिल की मात्रा बढ़ जाती है।
- अत्यधिक मात्रा में सिगरेट का सेवन करने या तनाव, डिप्रेशन से ग्रसित होने पर न्यूट्रोफिल का लेवल बढ़ सकता है।
इसके अलावा, दूसरी भी अनेक ऐसी स्थितियां और समस्याएं है जिस वजह से शरीर में न्यट्रोफिल का लेवल बढ़ सकता है।
न्यूट्रोफिल क्यों घटता है (Causes of Low Neutrophils in Hindi)
हमारे शरीर में जब न्यूट्रोफिल की मात्रा घट जाती है तो घटने के बाद हमारे शरीर में न्यूट्रोफिल की मात्रा 30 प्रतिशत से कम हो जाती है, जो कुछ इस प्रकार है –
- अविकासी खून की कमी (Aplastic Anemia), ये एक बहुत ही गंभीर बीमारी होती है जिससे कि हमारे शरीर में न्यूट्रोफिल की मात्रा घट जाती है।
- किसी व्यक्ति का केमोथेरपी से पीड़ित हैं और इसके इलाज चल रहा है और इसकी वजह से इसे कीमोथेरेपी का इंजेक्शन दिए जाते हैं तो उस वक्त हमारे शरीर में न्यूट्रोफिल की मात्रा घट जाती है।
न्यूट्रोफिल टेस्ट क्या होता है (Diagnosis of Neutrophils in Hindi)
अधिकतर लोगों के मन में ये सवाल रहता है कि न्यूट्रोफिल टेस्ट क्या होता है? तो उन लोगों को बता दें कि, ये एक प्रकार का टेस्ट होता है। हम लोग जिस तरह की जांच करवाते हैं, तो उसी प्रकार से रक्त जांच भी बहुत से प्रकार की होती हैं।
इस प्रकार के रक्त की जांच आप लोगों की बीमारी के ऊपर निर्भर करता है। साथ ही आप लोग किस बीमारी से पीड़ित है उसकी के आधार पर अलग-अलग प्रकार की रक्त की जांच की जाती है।
यदि डॉक्टर को कोई संदेह होता है तो वे अन्य जांच करने करने का भी सुझाव दे सकते हैं। इन जांचों की मदद से डॉक्टर इंफेक्शन के प्रकार का पता लगाकर उपचार के माध्यम का चुनाव करते हैं। उसके बाद, इलाज की प्रक्रिया शुरु होती है।
इसके अलावा Medical News Today के मुताबित, वयस्कों में जो गर्भवती नहीं हैं, सफेद रक्त कोशिका के रक्त की संख्या 11,000 per mm3 से अधिक मानी जाती है। न्यूट्रोफिलिक ल्यूकोसाइटोसिस तब होता है जब किसी व्यक्ति के रक्त प्रवाह में 7,000 per mm3 परिपक्व न्यूट्रोफिल होते हैं।
मानव रक्त में न्यूट्रोफिल के लिए निम्न रक्त स्तर की सीमा 1,500 per mm3 है। जब किसी व्यक्ति के न्यूट्रोफिल का स्तर कम होता है, तो इसे न्यूट्रोपेनिया कहा जाता है। रक्त में परिसंचारी न्यूट्रोफिल का स्तर जितना कम होगा, न्यूट्रोपेनिया उतना ही अधिक गंभीर होगा। इसलिए इसकी तुरंत जांच आवश्यक है।
न्यूट्रोफिल कैसे घटाएं (How to Decrease Neutrophils in Hindi)
न्यूट्रोफिल का लेवल सामान्य से अधिक होने पर ढेरों समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है जो आगे जाकर आपको परेशान कर सकते है। जब शरीर में न्यूट्रोफिल (Neutrophils in Hindi) की मात्रा 70 प्रतिशत से अधिक होती है तो मेडिकल भाषा में न्यूट्रोपेनिया कहते हैं।
वहीं न्यूट्रोफिल की मात्रा बढ़ने पर आपको घेरलू नुस्खों के भरोसे बैठने के बजाए तुंरत डॉक्टर से मिकर इस बारे में बात करनी चाहिए। डॉक्टर टेस्ट करके न्यूट्रोफिल बढ़ने के सटीक कारण का पता लगाते हैं, फिर उसके आधार इलाज के माध्यम का चयन करते हैं।
न्यूट्रोफिल कैसे बढ़ाएं (How to Increase Neutrophils in Hindi)
यदि आपके शरीर में न्यूट्रोफिल का लेवल घट गया है तो डॉक्टर से परामर्श करने बाद आप निम्न बिंदुओं का पालन कर इसके लेवल को बढ़ा सकते हैं –
- पाने हाथों को नियमित रूप से हल्का गर्म पानी या जीवाणुरोधी साबुन से अच्छी तरह से धोएं।
- कीटाणुओं और जीवाणुओं से बचने के लिए फेस मास्क पहनें।
- जिन्हें सर्दी या फ्लू है उनसे दूर रहें।
- इंफेक्शन से बचने के लिए अपने मुंह के स्वास्थ्य का खास ध्यान रखें।
- डॉक्टर से परामर्श करने के बाद अपने पोषक तत्वों की खुराक का इस्तेमाल करें।
- विटामिन-सी से भरपूर फलों और सब्जियों का सेवन करें।
- कच्चे मांस, मछली और अंडे आदि के सेवन से बचें।
- सभी खद्ध पदार्थों को अच्छी तरह से धोने के बाद ही खाएं।
- ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
- विटामिन-ई से भरपूर खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल जरूर करें।
- विटामिन-12 से भरपूर खाद्य पदार्थ न्यूट्रोपेनिय में काफी फायदेमंद होते हैं।
- यदि स्थिति गंभीर हो तो डॉक्टर बोन मैरो ट्रांसप्लांट करने का सुझाव भी दे सकते हैं।
डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए
अगर न्यूट्रोपेनिया (Neutrophils in Hindi) के मरीजो को किसी भी प्रकार का इफेक्शन है तो उसका तुरंत इलाज करना मरीज का जीवन बचाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। अगर आपको ऊपरोक्त में से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है, तो डॉक्टर से बात करके उचित टेस्ट करवा लेने चाहिए,
क्योंकि रक्त में न्यूट्रोफिल कोशिकाओं की संख्या का पता लगाया जा सके। इसके अलावा अगर किसी अन्य बीमारी के लिए टेस्ट करवाने के समय आपके शरीर में न्यूट्रोफिल कोशिकाओं की कमी पाई गई है, तो तुरंत डॉक्टर से इस बारे में बात करें।
शरीर में न्यूट्रोफिल कहां बनता है? (Where are neutrophils made in the body)
न्यूट्रोफिल्स सबसे सामान्य प्रकार की सफेद रक्त कोशिकाएं होती है। ये हमलावर विषाणु या कीटाणु से लड़ने के लिए इंफेक्शन के स्थान तक जाती है और एंजाइम नामक पदार्थों को छोड़ती है। सारी न्यूट्रोफिल (Neutrophils in Hindi) की संख्या इंफेक्शन से, विशेष रूप से जीवाणु संक्रमणों से लड़ने की शरीर की क्षमता का एक अनुमान है।
न्यूट्रोफिल की जांच कैसे करें? (How to get tested for neutrophils?)
न्यूट्रोपेनिया की जांच रक्त वाहिकाओं की संख्या की जांच करके किया जाता है। ये टेस्ट करने के लिए व्यक्ति की नस से खून का सैंपल लिया जाता है। न्यूट्रोपेनिया के सटीक कारण का पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ अन्य टेस्ट करवाने की सलाह भी दे सकते हैं।
यदि कुछ गंभीर मामलों में न्यूट्रोपेनिया (Neutrophils in Hindi) के अंदरूनी कारण का पता लगाने के लिए बोने मेरो की बायोप्सी की जाती है। बायोप्सी के समय सैंपल के लिए बोन मेरो से ऊतकों को ले लिया जाता है, जिसकी जांच करने के लिए उसे लैब में भेज दिया जाता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
न्यूट्रोफिल्स हमारे शरीर की प्राथमिक रक्षा कवच के समान हैं, बैक्टीरिया और अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों से लड़कर हमें स्वस्थ रखते हैं। उनके स्तर पर नजर रखना और किसी भी कमी को गंभीरता से लेना जरूरी है। उपचार जल्दी शुरू करने से अधिक गंभीर संक्रमणों से बचा जा सकता है।
नियमित जांच, स्वस्थ जीवनशैली और डॉक्टरी सलाह का पालन करके आप न्यूट्रोफिल्स को स्वस्थ रखकर बीमारियों से दूर रह सकते हैं। याद रखें, स्वस्थ रक्त का मतलब स्वस्थ शरीर और एक खुशहाल जिंदगी!
Frequently Asked Questions
1. न्यूट्रोपेनिया के लक्षण क्या हैं?
न्यूट्रोपेनिया के लक्षण गंभीरता के आधार पर भिन्न हो सकते हैं, लेकिन इनमें शामिल हो सकते हैं:
- बार-बार होने वाले संक्रमण, विशेष रूप से बैक्टीरिया के कारण
- बुखार
- ठंड लगना
- मुंह के छाले
- थकान
- वजन घटना
2. न्यूट्रोपेनिया के जोखिम कारक क्या हैं?
कई कारक न्यूट्रोपेनिया विकसित होने के आपके जोखिम को बढ़ा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- कैंसर और उसका उपचार: कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी अस्थि मज्जा को नुकसान पहुंचा सकती है, जो श्वेत रक्त कोशिकाओं, जिसमें न्यूट्रोफिल भी शामिल हैं, का उत्पादन करने के लिए जिम्मेदार है।
- स्व-प्रतिरक्षित रोग: लुपस और रूमेटॉयड गठिया जैसी स्थितियां शरीर के अपने ऊतकों पर हमला कर सकती हैं, जिसमें अस्थि मज्जा भी शामिल है।
- वायरल संक्रमण: कुछ वायरस, जैसे एचआईवी और साइटोमेगालोवायरस (सीएमवी), श्वेत रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करने की अस्थि मज्जा की क्षमता को दबा सकते हैं।
- विटामिन की कमी: विटामिन बी12 और फोलिक एसिड की कमी न्यूट्रोफिल उत्पादन को प्रभावित कर सकती है।
- कुछ दवाएं: कुछ दवाएं, जैसे कुछ एंटीबायोटिक्स और दौरे की दवाएं, न्यूट्रोपेनिया को साइड इफेक्ट के रूप में हो सकती हैं।
3. न्यूट्रोपेनिया का निदान कैसे किया जाता है?
न्यूट्रोपेनिया का आमतौर पर एक साधारण रक्त परीक्षण, जिसे पूर्ण रक्त गणना (सीबीसी) कहा जाता है, से निदान किया जाता है। यह परीक्षण आपके रक्त में श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या और प्रकारों को मापता है।
4. न्यूट्रोपेनिया का इलाज कैसे किया जाता है?
न्यूट्रोपेनिया का उपचार अंतर्निहित कारण और आपकी स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता है। इसमें शामिल हो सकते हैं:
- अंतर्निहित कारण का इलाज: यदि न्यूट्रोपेनिया किसी संक्रमण के कारण होता है, तो संक्रमण का इलाज एंटीबायोटिक्स या अन्य दवाओं से किया जाएगा। यदि यह किसी स्व-प्रतिरक्षित रोग के कारण होता है, तो प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने के लिए दवाओं का उपयोग किया जा सकता है।
- ग्रोथ फैक्टर: ये दवाएं अस्थि मज्जा को अधिक श्वेत रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करने के लिए उत्तेजित कर सकती हैं।
- स्टेम सेल प्रत्यारोपण: गंभीर मामलों में, क्षतिग्रस्त अस्थि मज्जा को बदलने के लिए स्टेम सेल प्रत्यारोपण आवश्यक हो सकता है।
5. न्यूट्रोपेनिया की दीर्घकालिक जटिलताएं क्या हैं?
न्यूट्रोपेनिया से ग्रस्त लोगों में गंभीर संक्रमण विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो ये संक्रमण जीवन के लिए खतरा हो सकते हैं।