मिर्गी क्या है? – What is Epilepsy in Hindi
Epilepsy in Hindi – मिर्गी एक प्रकार का मिस्तिष्क विकार है, जिसमें तंत्रिका तंत्र प्रभावित करती है। इस बीमारी में मरीज की तंत्रिका प्रणाली में अवरोध पैदा होता है। इस वजह से दिमाग शरीर में अन्य भाग में सही संदेश नहीं भेज पाते हैं। नजीजतन, उसकी संवेदनाएं और भावनाएं प्रकट करने की क्षमता कुछ समय के लिए खत्म हो जाती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति अजीब व्यवहार करता है। मांसपेशियों में ऐंठन होने लगती है, बेहोशी आ सकती है, व्यक्ति को झटके भी महसूस हो सकते हैं। इसे ही मिर्गी (Epilepsy in Hindi) का दौरा कहा जाता है। ये मानव दिमाग में पैदा होने वाली ऐसी स्थिति हैं जैसे किसी घर में शार्ट सर्किट की वजह से अचानक बिजली चली जाएं।
मिर्गी के प्रकार – Types of Epilepsy in Hindi
मिर्गी अलग-अलग प्रकार की होती है। अभी तक डॉक्टर्स ने लगभग 100 से अधिक प्रकार के मिर्गी सिंड्रोम (Epilepsy in Hindi) की खोज की है। अलग-अलग प्रकार के मिर्गी के दौरे की पहचान उसके लक्षणों के आधार पर की जा सकती है, जिनमें से कुछ सिंड्रोम वंशानुगत होते हैं लेकिन इनका सही कारण अभी तक ज्ञात नहीं हो पाया है। यहां मिर्गी के किछ प्रसिद्ध प्रकार दिए गए हैं। जिसमें शामिल है –
- अनुपरिस्थिति दौरे (जिसे पहले पेटिट मल के नाम से जाना जाता था)
- टॉनिक-क्लोनिक या कन्वल्सिव दौरे (जिसे पहले ग्रैंड मल के नाम से जाना जाता था)
- अटॉनिक दौरे (ड्रॉप अटैक के नाम से भी जाना जाता है)
- क्लोनिक दौरे
- टॉनिक दौरे
- मायोक्लोनिक दौरे
मिर्गी के कारण – Causes of Epilepsy in Hindi
मिर्गी की शिकायत (Epilepsy in Hindi) अनेक कारणों से हो सकती है। इसके मुख्य कारणों में निम्न शामिल हो सकते हैं –
- सिर पर घातक चोट लगना
- आनुवशिक कारण
- ब्रेन ट्यूमर या सिस्ट होना
- एड्स
- संवहनी रोग
- मेनिन्जाइटिस
- मनोभ्रंश या अल्जाइमर रोग
- जन्म से पहले शिशु के सिर में चोट लगना
- अत्यधिक शराब या नशीली दवाओं का सेवन
- ब्रेन स्ट्रोक (35 से अधिक उम्र के लोगों में मिर्गी का ये मुख्य कारण माना जाता है)
- शिशु के जन्म के दौरान मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी होना
- जन्म से मौजूद विकास संबंधित विकार या तंत्रिका संबंधिक डिजीज
ऊपर दिए गए कारणों के अलावा, मरीज की उम्र और समग्र स्वास्थ्य और मिर्गी के प्रकार (Epilepsy in Hindi) के आधार पर मिर्गी के अन्य कारण हो सकते हैं।
मिर्गी के लक्षण – Epilepsy Symptoms in Hindi
मिर्गी में बार-बार दौरा के मुख्य लक्षणों में आता है। यदि किसी मरीज में मिर्गी के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। दौरा पड़ने के अलावा मिर्गी (Epilepsy in Hindi) के अन्य लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं जो कुछ इस प्रकार है –
- अचानक गुस्सा होना
- चक्कर आना
- एक ही जगह घूमना
- बिना तापमान के एक आवेग
- ब्लैकआउट या मेमोरी लॉस होना
- कुछ समय के लिए कुछ भी याद नहीं रहना
- अचानक खड़े-खड़े गिर जाना
- बिना किसी कारण के स्तब्ध रह जाना
- बार-बार एक जैसा व्यवहार करना
- शरीर में झुनझुनी और सनसनी होना
- लगातार ताली बजाना या फिर हाथ रगड़ना
- चेहरे, गर्दन और हाथ की मांसपेशियों में बार-बार झटके आना
- छूने, सुनने या सूंघने की क्षमता में अचानक बदलाव आना
- अचानक से जर जाना और बात करने में असमर्थ होना
- कुछ समय के अंतर में बेहोश होना (इस समय बोवेल या ब्लैडर का कंट्रोल खो जाता है, शरीर में थकावट होती है)
इस सबसे के अलावा, मिर्गी (Epilepsy in Hindi) के दूसरे भी अन्य लक्षण हो सकते हैं। मिर्गी का लक्षण मरीज और मिर्गी के प्रकार के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं। यदि आप खुद में या अपने परिवार के किसी सदस्य में ऊपर दिए गए किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं तो जल्द से जल्द विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
मिर्गी रोग के जोखिम कारक – Risk Factors of Epilepsy in Hindi
निम्नलिखित कारक मिर्गी के खतरे को बढ़ा सकते हैं –
- दवाओं का सेवन
- तनाव
- बुखार
- दवाओं के साइड इफेक्ट्स
- चमकदार या तेज रोशनी
- नींद की कमी
- अधिक कैफीन लेना
- विशिष्ट आहार पदार्थ
- अधिक शराब का सेवन करना
- ब्लड शुगर बहुत कम होना
ऊपर दिए कारक मिर्गी को ट्रिगर (Epilepsy in Hindi) कर सकते हैं। मिर्गी के उचित इलाज के लिए रोगी को मिर्गी के दौरे को ट्रिगर करने वाले कारक और दौरे के पैटर्न को नोट डाउट करके रखना चाहिए, क्योंकि इससे डॉक्टर को निदान और इलाज में मदद मिलती है।
मिर्गी के लिए डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए?
वैसे तो मिर्गी बीमारी के लक्षण पहली बार दिखाई देने पर ही आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, लेकिन यहां हम आपको कुछ स्थितियां बताने जा रहे हैं, जिनके होने पर आपको मिर्गी का ट्रीटमेंट (Epilepsy in Hindi) करने में जरा भी देर नहीं करनी चाहिए।
- जब व्यक्ति को सामान्य से अधिक यानी लंबे समय तक मिर्गी का दौरा आए।
- जब मिर्गी के दौरे जल्दी-जल्दी आने लगे।
- कुछ मिनट के अंतराल में एक से अधिक बार मिर्गी का दौरा आना।
- जब दौरे आने के साथ व्यक्ति की मानसिक स्थिति बिगड़ने लगे।
मिर्गी होने पर जल्दी इसका इलाज करना बेहद जरूरी है।
मिर्गी का इलाज – Treatment of Epilepsy in Hindi
मिर्गी का प्रबंधन किया जा सकता है। मिर्गी का उपचार मरीज की उम्र और समग्र स्वास्थ्य और लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है। मिर्गी (Epilepsy in Hindi) का इलाज करने के लिए डॉक्टर निम्न का इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे –
- एंटी-एपिलेप्टिक दवाएं – इन दवाओं का सेवन करने से मिर्जी के कारण पड़ने वाले दौरों की संख्या कम होती है और कुछ लोगों में दोबारा दौरे आने का खतरा भी खत्म होता है। इस दवा का सेवन डॉक्टर द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश के मुताबिक ही करना चाहिए।
- वेगस तंत्रिका उत्तेजना – दौरों को रोकने के लिए इस उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है। इसे शल्य चिकित्सा द्वारा छाती पर स्किन के नीचे लगाकर बिजली द्वारा गर्दन से होते तंत्रिका को उत्तेजित किया जाता है।
- केटोजेनिक आहार – जिन लोगों पर दवाओं का असर नहीं होता है तो डॉक्टर उन्हें फैट और कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट वाले आहार लेने का सुझाव देते हैं।
- मस्तिष्क की सर्जरी – मस्तिष्क का जो हिस्सा दौरों का कारण बनता है उसे सर्जरी के समय हटाया या बदल दिल जाता है।
- मिर्गी की दवाएं – मिर्गी के सबसे शुरूआती उपचार के लिए डॉक्टर एंटी-सीज्यूर दवाएं निर्धारित करते हैं। ये दवाएं दौरों की आवृति और गंभीरता को कम करने में सहायता करता है।
इन दवाओं से गंभीर दौरों को रोका नहीं जा सकता है और नाही इनसे मिर्गी का पूर्ण रूप से इलाज किया जा सकता है। यदि आपको मिर्गी है, मिर्गी का दौरा (Epilepsy in Hindi) आता है या खुद में इसके लक्षणों का अनुभव करते हैं तो जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलकर उचित निदान और इलाज करना चाहिए, क्योंकि उससे उत्पन्न होने वाली गंभीर समस्याओं को रोका जा सकता है।
मिर्गी रोग के घरेलू उपचार – Remedies for Epilepsy in Hindi
एपिलेप्सी डिफरेंट अनुभव वाले लोगों को कई चरीकों से इफेक्ट करता है, लेकिन कुछ सुझाव हैं, जो मदद कर सकते है-
- अपने ट्रिगर्स को पहचाने – जितना अधिक आप उन चीजों के बारे में जानते हैं, जो आपके दौरे को ट्रिगर करते हैं और उनसे कैसे बचें, आप अपने बिहेवियर को बेहतर बना सकते हैं।
- दवा समय पर लें – एंटी-एपिलेप्सी मेडिसिंस (Antiepileptic medications) लगभग 70 प्रतिशत लोगों में दौरे को कंट्रोल करती है। आपको अपने डॉक्टर के खास प्रेस्क्रिप्शन का पालन करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि ये एपिलेप्सी के साथ अच्छी तरह से जीने का सबसे इफेक्टविव तरीका है।
- रेग्युलर ट्रीटमेंट की जांच करें – आपके एपिलेप्सी (Epilepsy in Hindi) और ट्रीटमेंट की रेग्युलग जां होगी। अन रिव्यूज को कम से कम हर साल किया जाना चाहिए, क्योंकि यदि आपके एपिलेप्सी को अच्छी तरह से कंट्रोल नहीं किया गया है, तो आपको अधिक लगातार जांच की जरूरत हो सकती है।
मिर्गी में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए (What to eat and what not to eat in epilepsy in Hindi?)
क्या खाएं – जिस भी भोज्य पदार्थ में फैट, प्रोटीन भरपूर हो और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम हो तो उन्हें मिर्गी के रोगी (Epilepsy in Hindi) अपनी इस डाइट का हिस्सा बना सकते हैं। इन फूड आइटम को आप चिंता मुक्त होकर ले सकते हैं जैसे –
- नारियल का आटा
- बादाम का आटा
- हाई फैट सलाद की ड्रेसिंग
- क्रीम ड्रेसिंग
- घी
- मक्खन
- पीनट बटर
- अंडा
- मछली
- चिकन
- मीट
- चीज़
- टोफू
- सोया और बादाम का दूध
- काली चाय और कॉफी
- गोभी
- पालक
- मेथी
- पत्तागोभी
- प्याज
- खीरा
- जुकिनी
- शिमला मिर्च
- एवोकाडो
- बादाम
- अखरोट
- काजू
- सूरजमुखी के बीज
- चिया सीड
- कद्दू के बूच
- अलसी के बीच
क्या ना खाए – जिन भोज्य पदार्थों में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक हो, उनसे परहेज करें। जैसे कि –
- चीनी
- शीरा या शुगर सिरप
- अल्कोहल
- दूध
- कार्बोनेटेड ड्रिंक्स
- वाइन
- फलों के जूस
- खजूर
- किशमिश
- शहद
- मिठाई
- ब्रेड
- पिज्जा
- अनाज (जैसे – चावल, गेंहू, मक्का, जौ, क्विनोवा, ओट्स)
- पेस्ट्री
- पोलीकेक
- डोनट
- कैंडी
- चॉकलेट
- जिमीकंड
- आलू
- गुड
- दालें और फलियां
- प्रोसेस्ड फूड
- गाजर
- चकुंदर
मिर्गी के बचाव के उपाय – Prevention Tips for Mirgi in Hindi
मरीज को धीरे से फर्श पर लेटा दें, उसके आसपास की वस्तुओं को हटा दें। अब धीरे-धीरे बच्चे को एक साइट की ओर लिटाएं। मरीज के सिर के नीचे तकिया रखें, यदि मरीज ने शर्ट पहनी है, तो उसे बटन खोल दें या गले से कोई टाइट कपड़ा हो तो ढीला कर दें।
यदि उसे किसी तरह का खतरा नहीं है तो मरीज को चलने और टहलने से न रोकें। रोगी के मुंह में कुछ भी न डालें। यहां कि दवा या तरल भी नहीं। इससे उसके जबड़े, जीभ या दांतों को नुकसान पहुंच सकता है। साथ ही बच्चे को मिर्गी पड़ने के समय और उसके कुछ देर बाद तक उसते साथ ही रहें। दौरा पड़ते समय उसके लक्षण और दौरा पड़ने के समय को नोट करके रखें। डॉक्टर को विस्तार से बताएं कि मिर्गी का दौरा (Epilepsy in Hindi) कितनी देर के लिए आया और उसके लक्षण क्या थे।
निष्कर्ष (Conclusion)
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