Symptoms of Hypertension in Pregnancy:
प्रेग्नेंसी के दिनों में अपनी सेहत का ख्याल महिलाओं को सबसे ज्यादा रखने की जरूरत होती है. जरा सी भी लापरवाही से गर्भवती महिला के साथ ही उसके गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी जानलेवा साबित हो सकता है. अक्सर कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के आखिरी महीने में हाई ब्लड प्रेशर होने की समस्या शुरू हो जाती है. अगर इसे कंट्रोल में ना किया जाए, तो यह बेहद हानिकारक हो सकता है. प्रेग्नेंसी में हाइपरटेंशन को प्री-एक्लेम्प्सिया (Pre-eclampsia) भी कहा जाता है. प्री-एक्लेमप्सिया आमतौर पर गर्भवती महिला में गर्भावस्था के 20वें सप्ताह के बाद शुरू हो सकती है. यह मां और बच्चे दोनों के लिए ही एक गंभीर स्थिति होती है. यहां तक कि यह कई तरह की जटिलताएं भी पैदा कर सकता है. आइए जानते हैं प्रेग्नेंसी में हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण कैसे नजर आते हैं और यह एक प्रेग्नेंट महिला ओर गर्भ में पल रहे शिशु के लिए किस तरह से खतरनाक साबित हो सकता है.
गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर क्यों होता है
हीरानंदानी हॉस्पिटल वाशी- फोर्टिस नेटवर्क हॉस्पिटल की कंसल्टेंट गायनोकोलॉजिस्ट और ऑब्सटेट्रिशियन डॉ. मंजिरी मेहता कहती हैं कि प्रेग्नेंसी में हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर होने को जैस्टेशनल हाइपरटेंशन भी कहा जाता है. प्रेग्नेंसी में हाइपरटेंशन की समस्या लगभग 7 से 8 प्रतिशत तक होती है. इसका कारणों के बारे में अभी तक सही से नहीं पता चल पाया है, लेकिन कई रिस्क फैक्टर्स होते हैं, जिसके कारण हाई ब्लड प्रेशर हो जाता है. बहुत कम उम्र या अधिक उम्र में मां बनने के कारण ब्लड प्रेशर हाई हो सकता है. अगर महिला की उम्र 20 वर्ष से कम या 40 वर्ष से अधिक होगी, तो हाइपरटेंशन होने की संभावना बढ़ जाती है.
इसके अलावा मल्टीपल प्रेग्नेंसी जैसे जुड़वां बच्चे या गर्भ में तीन या चार बच्चे होने से भी हाइपरटेंशन की समस्या बढ़ जाती है. इसके अलावा, किसी महिला को पहले से ही किडनी संबंधित कोई रोग हो, तो उसे भी उच्च रक्तचाप होने की समस्या बढ़ सकती है. साथ ही जिन महिलाओं को पहली प्रेग्नेंसी में हाइपरटेंशन की समस्या हुई थी, उस केस में भी 25 प्रतिशत संभावना होती है कि दूसरी प्रेग्नेंसी में भी यह समस्या डेवलप हो जाए. यदि पहले से ही किसी का रक्तचाप अधिक हो, तो गर्भावस्था में यह और भी अधिक बढ़ सकता है.
गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान
यदि हाइपरटेंशन की समस्या होती है, तो गर्भ में पल रहे शिशु का शारीरिक विकास सही से नहीं हो पाता है. हाइपरटेंशन के कारण शिशु को ब्लड सप्लाई कम हो जाता है. साथ ही, ऐसे बच्चों का वजन भी जन्म के समय कम होता है. प्रॉपर विकास नहीं हो पाता है. कई बार अधिक हाई बीपी होने पर डिलीवरी जल्दी करने की नौबत आ जाती है, ऐसे में वजन कम होने और समय से पूर्व डिलीवरी करने के कारण बच्चे को नवजात गहन चिकित्सा इकाई या एनआईसीयू (Neonatal intensive care unit) में भेजने की संभावना बढ़ जाती है.
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प्रेग्नेंसी में हाइपरटेंशन के लक्षण
-ब्लड प्रेशर नॉर्मल से अधिक होना
–बार-बार सिर में दर्द होना
-धुंधला दिखाई देना, आंखों से संबंधित समस्या
-एसिडिटी की तरह पेट में दर्द होना
-कम समय में अधिक वजन बढ़ जाना
-शरीर में अधिक सूजन होना
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FIRST PUBLISHED : May 16, 2022, 22:40 IST
यह लेख hindi.news18.com से लिया गया है