Piles Meaning in Hindi – बवासीर जिसे पाइल्स (Piles) के नाम से भी जाना जाता है। बवासीर एक बेहद आम समस्या है जो आमतौर पर बढ़ती उम्र के लोगों को होती है। इसमें गुदा के निचले हिस्से में मौजूद नसों की सूजन को बवासीर कहते हैं। ये गुदा के अंदर या आस-पास और गुदा नली में हो सकता है। बवासीर होने की कई वजह हो सकती है, जैसे गर्भावस्था के दौरान नसों पर अधिक दबाव पड़ना या कब्ज आदि।
साथ ही कभी-कभी पाइल्स के कोई लक्षण नहीं होते हैं, लेकिन कभी-कभी इससे गुदा में खुजली, रक्त का रिसाव या अन्य समस्याएं हो सकती है। यह अधिकतर अपने आप ठीक हो जाती है, लेकिन कई मामलों में इसके लिए दवाएं, टीके और यहां तक कि सर्जरी की आवश्यकता भी हो सकती है। तो आइए आज हम इस बवासीर से क्या (Piles Meaning in Hindi) होता है, बवासीर हो तो क्या करें, बवासीर के प्रकार और इसके निदान के बारे में जानेंगे।
बवासीर में क्या समस्याएं होती है? (What are the problems with hemorrhoids?)
बवासीर में निम्नलिखित समस्याएं हो सकती है जैसे –
- मल त्याग करते समय गुदा से रक्त निकलना
- गुदा के आस-पास का क्षेत्र लाल होना
- मल त्याग करते समय दर्द होना
- गुदा के बाहर एक गांठ निकल जाना, जिसे मल त्याग करने के बाद गुदा के अंदर करना पड़े।
- गुदा में दर्द या असहजता होना
- गुदा से चिपचिपा रिसाव होना
- गुदा के पास गांठ बनना
- मल त्याग करने के बाद चिपचिपा रिसाव होना
- गदा के आस-पास दर्दनाक सूजव होना
- गुदा के आस-पास खुजली होना
साथ ही National Library of Medicine के मुताबिक, यह अनुमान लगाया गया है कि लगभग 50% आबादी को अपने जीवन में कभी न कभी 50 वर्ष की आयु तक बवासीर होगा, और लगभग 5% आबादी किसी भी समय बवासीर से पीड़ित होगी।
बवासीर के प्रकार (Types of hemorrhoids in Hindi)
बवासीर के प्रकार (Types of Piles in Hindi) कुछ इस प्रकार है जैसे –
- अंदरुनी बवासीर (internal hemorrhoids) – इसके नाम से ही प्रतीत होता है कि ये बवासीर अंदरूनी हिस्से में पनपता है। ये मलाशय के अंदर विकसित होता है। वहीं कुछ मामलों में ये दिखाई नहीं देते हैं, क्योंकि ये गुदा में काफी अंदर विकसित होते हैंं। इस प्रकार के बवासीर कोई गंभीरत समस्या पैदा नहीं करते हैं और यदि खानपान में कुछ बदलाव किए जाते हैं को समय के साथ धीरे-धीरे ठीक (Piles Meaning in Hindi) होते जाते हैं।
- प्रोलेप्सड बवासीर (prolapsed hemorrhoids) – जब इंंटरनल पाइल्स में सूजन आती है और वह गुदा द्वार के बाहर की तरफ निकलने लगते हैं और इस स्थिति को प्रोलेप्सड बवासीर कहा जाता है। इसमें एक गांठ, जिसमें सूजन होती हैं। वह बाहर निकली हुई गांठ की तरह दिखाई देते हैं। इस तरह की गांठ को पहचान कर आप चिकित्सक की सलाह ले सकते हैं।
- बाह्य बवासीर (external hemorrhoids) – इस प्रकार के बवासीर गुदा द्वार के बाहरी छोर पर विकसित होते हैं। ये ठीक उसी सतह पर विकसित होते हैं जहां से मलत्याग किए जाते हैं। वहीं कुछ मामलों में ये देर से दिखाई देते हैं, लेकिन कई बार ये गुदा की सतह पर गांठ के रूप में विकसित होते हैं। लेकिन शुरूआती स्टेज में इसमें अधिक तकलीफ नहीं होती है, पर यही गांठ बढ़ने के साथ समस्या भी बढ़ाकर जाते हैं।
- खूनी बवासीर (Thrombosed Hemorrhoids) – खूनी बवासीर, बवासीर के प्रकारों (Piles Meaning in Hindi) की सबसे बड़ी जटिलका के तौर पर देखा जाता है, क्योंकि रक्तश्राव के चलते व्यक्ति कमजोर होने लगता है। इस स्थिति में गंभीर दर्द और सूजन विकसित होने लगती है जो आपकी लाइफस्टाइल को प्रभावित करती है। साथ ही इसमें कई तरह के बचाव करने की जरूरत होती है। मलत्याग के समय रक्त आए तो इसकी गंभीरता को भांपते हुए हुए तुरंत विशेषज्ञ की सलाह लें।
बवासीर के कारण (Causes of hemorrhoids in Hindi)
- बवासीर होने का प्रमुख कारण (Bawaseer ke karan) है लंबे समय तक कठोर कब्ज बने रहना।
- प्रसव के समय बवासीर होने का खतरा बढ़ना, क्योंकि एनस क्षेत्र पर अधिक दबाव पड़ता है।
- शौच के समय जोर लगाना
- बहुत दिनों तक दिल ओर लीवर संबंधित बीमारी होने से बवासीर का खतरा बढ़ सकता है।
यदि आपको इसमे कोई समस्या है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि ये समस्या के बढ़ जाने पर आपको अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
बवासीर का निदान (Diagnosis hemorrhoids in Hindi)
बवासीर का निदान (Bawaseer ka needan) दो तरह से किया जा सकता है –
- डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन (digital rectal examination) – डॉक्टर गुदा मार्ग में ल्यूब्रिकेटेज फिंगर डालेंगे और वहां पर ऊतकों के असामान्य ग्रोथ कोो पहचानेंगे।
- विजुअल एग्जामिनेशन (visual examination) – इसमें डॉक्टर कोलॉन और गुदा के निचले हिस्से की जांच के लिए एनोस्कोप, प्रोक्टोस्कोप या सिग्मोइडोस्कोप का इस्तेमाल करेंगे।
निम्न स्थितियां होने पर कई बार डॉक्टर कोलोनोस्कोपी की सलाह हैं –
- अगर आपको पाचन तंत्र संबंधी अन्य समस्याएं हैं।
- अगर आपको कोलोरेक्टल कैंसर होने का जोखिम है।
- मध्यम आयुवर्ग के लोग, जिन्होने हाल में कोलोनोस्कोपी नहीं करवाई है।
बवासीर का घरेलू इलाज (Home remedies for Piles in Hindi)
बवासीर के लिए कई तरह के घरेलू इलाज मौजूद है। जिसमें से एक हल्दी भी एक है। हल्दी को गुणों की खान मानी जाती है। हल्दी से बवासीर में बहुत इस्तेमाल साबिक हो सकती है। ऐसे ही कई अन्य घेलू उपाय हैं, जिनका इस्तेमाल करके आप बवासीर में राहत (Bawaseer ke kharelu upay) पा सकते हैं।
- हल्दी पाउडर और नारियल तेल (Turmeric Powder and Coconut Oil) – आयुर्वेद के मुताबिक, नारियल का तेल कई बीमारियों के इलाज में अहम भूमिका निभाता है। नारियल के तेल में चुटकीभर हल्दी पाउडर मिलाकर बवासीर की जगह पर हल्के हाथों या कॉटन से लगाएं। इससे आपको गुदा के बाहरी हिस्से में होने वाले बवासीर में राहत मिल सकती है।
- हल्दी और एलोवेरा जेल (Turmeric and Aloe Vera Gel) – एलोवेरा को उसकी ठंडी तासीर के लिए जाना जाता है। एलोवेरा जेल में हल्दी पाउडर मिलाकर रात में नियमित तौर पर सोने से पहले गुदा मार्ग के बवासीर वाली जगह पर लेप लगाने से राहत मिलती है। इन उपायो को कम से कम दो हफ्तों (Piles Meaning in Hindi) तक लगातार करना है।
- देसी घी और हल्दी (Desi Ghee and Turmeric) – देसी घी तो वैसे भी गुणों के लिए जाना जाता है। यदि आप नियमित रूप से देसी घी का सेवन करते हैं तो समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। बवासीर की समस्या से निजात पाने के लिए देसी घी में चुटकीभर हल्दी मिलाकर एक मिश्रण तैयार करें और बवासीर वाली जगह पर नियमित तौर पर लगाने से कुछ ही दिनों में बवासीर की समस्या गायब हो जाती है।
- हल्दी, बकरी का दूध और काला नमक (Turmeric, Goat’s Milk and Black Salt) – बवासीर के लक्षणों से आराम पाने के लिए एक कप बकरी के दूध में एक चम्मच हल्दी और आधा चम्मच काला नमक मिलाकर कुछ दिन तक सेवन करें। रोजाना इसका सेवन करने से कुछ ही दिनों में ही बवासीर में राहत मिलने लगेगी।
- नहाने के टब में हल्दी का इस्तेमाल (Use of turmeric in bath tub) – नहाने के टब में दो चम्मच हल्दी मिलाएं और फिर उसमें 15 मिनट के लिए बैठें। रोजाना कुछ दिन तक ऐसा करने से बवासीर (Piles Meaning in Hindi) में राहत मिलती है।
बवासीर से कैसे बचाव करें (How to prevent Piles in Hindi)
आज लाइफस्टाइल में कुछ छोटे-मोटे बदलाव कर बवासीर जैसी गंभीर समस्या से बच सकते हैं।
- बवासीर न हो इसके लिए जरूरी है आपका खान-पान हेल्दी होना चाहिए। संतुलित आहार लें जिसमें फल और सब्जियों की मात्रा अधिक हो।
- कब्ज बवासीर होने की प्रमुख कारण है, इससे बचने के लिए फल और सब्जियों सेवन जरूर करें क्योंकि इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है जो आसानी से हमारी आंतों की सफाई (Piles Meaning in Hindi) करता है। इससे कब्ज की समस्या नहीं होती है।
- मांस, मछली और तली-भुनी चीजें शराब, धूम्रपान जैसी चीजों से दूर रहें।
- सुबह जल्दी उठें और रात को समय से सोएं।
- रोजाना वॉक करें, योग और एक्सरसाइज जरूर करें।
- रोजाना 8 से 10 ग्लास पानी जरूर पिएं।
- लाइफस्टाइल को तनाव मुक्त बनाएं।
निष्कर्ष (Conclusion)
अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आया है तो इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाए। इसे आगे जारी रखने के लिए इस TV Health पर क्लिक करें।