महिलाओं में अचानक पेट दर्द होने के 5 मुख्य कारण!

गर्मी के मौसम में महिलाओं को पाचन संबंधी कई तरह की समस्याएं हो जाती है और इनमें पेट दर्द जैसे संकेत भी शामिल है। इस मौसम में कभी गर्मी की वजह से तो कुछ गलत खा लेने से पेट में दर्द हो जाता है। पेट दर्द किसी को भी हो सकता है, लेकिन महिलाओं के निचले हिस्से में होने वाला पेट सामान्य (महिलाओं को पेट दर्द क्यों होता है) नहीं होता है। तो चलिए जानते हैं महिलाओं में अचानक पेट दर्द कौन-कौन सी वजह हो (Abdominal pain) सकती है।
1. ओवेरियन सिस्ट (ovarian cyst)

यदि आपको ओवेरियन सिस्ट है तो पेट में सूजन, अनियमित पीरियड्स, पेट के निचले भाग में दर्द आदि जैसे समस्या हो सकती है। जब सिस्ट फट जाती है तब गंभीर दर्द होता हैय़ मेंस्टुअल पेन की वजह से आपको पेट और कमर के हिस्से में भी दर्द उठ सकता है। ओवेरियन सिस्ट होने पर आपको लक्षणों का पता चलते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
2. एक्टोपिक गर्भावस्था (ectopic pregnancy)

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने पर भी पेट में दर्द की समस्या (Abdominal pain in women) हो सकती है। ये दर्द प्रेग्नेंसी के पहले कुछ हफ्तों के भीतर होता है। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में भ्रूण, गर्भाशय के बाहर से जुड़ा होता है। पेट में दर्द के अलावा भी कुछ लक्षण हैं जिससे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का पता लगा सकते हैं जैसे कि, योनि में हल्का दर्द होना, पेट में मरोड़, कमजोरी, चक्कर आना, सुस्ती होना आदि।
3. यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन (urinary tract infection)

वैसे तो महिलाओं में यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन एक कॉमन समस्या है। यूटीआई में किडन, यूट्रस, ब्लैडर यूरेथ्रा में इंफेक्शन हो जाता है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ये समस्या अधिक होती है। यदि आपको यूटीआई है तो आपको पेट या पेट के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। साथ ही कई ऐसे संकेत है जिन्हें पहचाकर आप यूटीआई की दिक्कतों से बच सकते है। साथ ही अगर आपकी कमर में दर्द है. तभी भी आपको यूटीआई की समस्या हो सकत है।
पेट या उससे नीचे ऐंठन है या योोनि में जलन या खुजली है तो भी आपको यूटीआई की समस्या हो सकत है। वहीं आपको शरीर में इसके संकेत नजर आए तो (महिला का पेट दर्द क्यों होता है) तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
4. पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (pelvic inflammatory disease)

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज होने पर भी पेट में दर्द या पेट के निचले हिस्से में दर्द की समस्या हो सकती है। साथ ही पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिसीज होने पर बुखार लगना, पीरियड्स के समय (पीरियड के बाद पेट दर्द क्यों होता है) ब्वीडिंग, पेशाब के समय जलन आदि समस्या हो सकती है।
यदि आप सही समय पर इलाज न करवाएं तो गंभीर बीमारी (महिलाओं में पेट के निचले हिस्से में दर्द के कारण) हो सकती है और सही समय पर इलाज के जरिेए इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है।
5. गर्भपात (abortion)

गर्भपात यानि मिसकैरेज जिसमें 20वें हफ्ते से पहले ही भ्रूण की मृत्यु हो जाती है। ऐसा पहली तिमाही में होता है। यदि गर्भपात होता है तो पेट के निचले हिस्से में दर्द, भारी रक्तस्त्राव, पीठ में दर्द, बुखार, ऐंठन जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है। बहुत से टेस्ट ऐसे है जिनके जरिए गर्भपात का पता लगाया जाता है जैसे एचसीजी ब्लड टेस्ट, अल्ट्रासाउंड, पैल्विक टेस्ट आदि।
इसके अलावा अगर आपको प्रेग्नेंसी के समय पेट या पेट के निचले हिस्से में दर्द हो रहा है या ठंड लग रही है या योनि से ब्लीडिंग हो रही है तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
साथ ही तेज दर्द को अनदेखा न करें, दर्द कम होने का इंतजार भी (महिलाओं में पेट के निचले हिस्से में दर्द के कारण) नहीं करना है और डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। वहीं हेल्दी डाइट लें, सही जीवनशैली को अपनाएं और जिनता हो सके स्ट्रेस कम लें।
इसे भी पढ़े: mayoclinic के अनुसार
डिस्कलेमर (Disclaimer)
ये सामान्य जानकारी है, इसमें सुधार के लिए आपको अपने डॉक्टर जांच करवानी है और उन्हीं के अनुसार. आपको अपनी जीवनशैली और आहार का खास ध्यान रखना हैं।