प्री-डायबिटीज क्या है? पूरी जानकारी सरल शब्दों में
प्री-डायबिटीज क्या है?
डायबिटीज के खतरे सब जानते हैं, लेकिन प्री-डायबिटीज के बारे में जानना बेहद जरूरी है। क्योंकि जो व्यक्ति इस बीमारी के बिल्कुल करीब है उनके पास इससे बचने का बस लास्ट मौका होता है। प्री-डायबिटीज वो स्थिति है जो रक्त में शुगर लेवल के खतरे के निशान से बिल्कुल करीब होता है। इस स्थिति में डॉक्टरों का कहना है कि, अगर किसी रोगी में प्री-डायबिटीज का समय रहते पता चल जाए और उसका समय रहते इलाज कर दिया, तो डायबिटीज और इसके जानलेवा खतरों से बचा जा सकता है। प्री-डायबिटीज को बॉर्डरलाइन डायबिटीज भी कहा जाता है।
एक शोधकर्ता के मुताबिक, भारत 7.29 करोड़ लोग डायबिटीज के मरीज हैं। 8 करोड़ लोग प्री-डायबिटीज स्टेज में हैं और अफसोस की बात है कि सिर्फ 10 फीसदी को अपनी इस स्थिति की जानकारी है।
इसके अलावा 86 मिलियन अमेरिकी प्री-डायबिटीज का शिकार हैं। एक शोध के अनुसार, 90 फीसदी लोगों को नहीं पता होता है कि वे प्री-डायबिटीज का शिकार हो जाते हैं। बॉर्डरलाइन डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है जिससे टाइप – 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ने लगता है।
प्री डायबिटीज के क्या-क्या कारण हो सकते हैं?
मनुष्य के शरीर के लिए इंसुलिन हार्मोन एक जरूरी हार्मोन है। जब यह हमारे शरीर में अंसतुलित रहता है तो यह डायबिटीज का कारण बन जाता है। इंसुलिन रेसिस्टेंस तब होता है जब शरीर में इंसुलिन का निर्माण नहीं करती है या इसका इस्तेमाल नहीं करती है। इन दोनों मामलों में बढ़ा हुआ ग्लूकोज का स्तर बढ़े हुए ब्लड शुगर स्तर का कारण बनता है, जो प्री-डायबिटीज की तरफ ले जाता है। तब व्यक्ति को डायबिटीज हो जाता है।
- अधिक वजन – जिन लोगों का वजन सामन्य से ज्यादा हो या जो लोग मोटे होते हैं, उन्हें प्री-डायबिटीज होने का खतरा बना रहता है। इसमें फैट सेल्स इंसुलिन रेसिस्टेंस को ट्रिगर करते हैं और फिर लंबे समय तक रहने वाला मोटापा डायबिटीज कारण बनता है।
- स्वस्थ रहें – अधिकतर मोटे या अधिक वजन वाले लोग व्यायाम नहीं करते हैं, इसलिए ऐसे में इन लोगों को प्री-डायबिटीज होने का खतरा अधिक रहता है।
- पारिवारिक इतिहास – बहुत से मामलों में देखने को मिलत है कि अगर फैमिली में किसी को पहले से अधिक डायबिटीज हो तो आपको भी डायबिटीज होने का खतर रहता है। इसे हेरेडिट्री ट्रांसमिशन कहते हैं और यह बहुत आम होती है।
- जेस्टेशनल डायबिटीज – एक शोधकर्ता के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान जिन महिलाओं को डायबिटीज हो जाती है, उन्हें भी अपनी लाइफ में प्री-डायबिटीज हो सकती है। उनके लिए ये जरूरी है कि वे हेल्दी लाइफस्टाइल जिए, क्योंकि इस जोखिम में दूर रह सकें।
अगर आप प्री-डायबिटीज के शुरूआती स्टेजों पर है तो आप इसे टाइप – 2 डायबिटीज में बदलने से रोक सकते हैं या इसे रिवर्स कर सकते हैं। टाइप – 2 डायबिटीज में बदलते ही यह आपकी किडनी, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर पर असर डाल सकता है। इसके लिए जरूरी है कि आप सही समय पर सही कदम उठाएं और अपना एक प्री-डायबिटीज डाइट चार्ट बनाएं और उसे अच्छे से फॉलो करें। फास्ट/जंक फूड का सेवन बिल्कुल ना करें। हेल्दी खाना खाएं। एरोबिक्स या योगा किसी भी तरह का व्यायाम करने और रोजाना कम से कम 30 मिनट के लिए करें। एक बार आपका वेट कंट्रोल और कोलेस्ट्रॉल सामान्य में आ जाए, तो आपके लिए प्री-डायबिटीज को खत्म करना मुश्किल नहीं है।
प्री डायबिटीज के क्या-क्या लक्षण हो सकते हैं?
प्री-डायबिटीज एक ऐसी समस्या है कि अगर हो जाए तो इससे छुटकारा पाने में पुरी जिंदगी गुजर जाती है, पर डायबिटीज होने का अर्थ सिर्फ चीनी और मीठे भोजन का सेवन बंद करना ही नहीं है, बल्कि यह आपको कई स्वास्थ्य समस्याओं की ओर भी ले जाता है। लेकिन आपको प्री-डायबिटीज होने का जोखिम तब पता चलते हैं जब आपको निम्र दिक्कतें शुरू हो जाती है जैसे:
- बार-बार पेशाब आना
- ब्लड प्रेशर का हाई रहना
- बिना काम करें थकान महसूस होना
- भूख अधिक लगना ये भी प्री- डायबिटीज होने का मुख्य सिग्नल है।
- अचानक से वजन बढ़ जाना। जी हां, एक शोधकर्ता के मुताबिक, पेट के आस-पास फैटी टिश्यू अधिक दिखाने लगते और महिलाओं के कमर का साइस 35 इंच और पुरुषों का 40 इंच से अधिक होने खतरनाक साबित हो सकता है।
- महिलाओं में पीसीओडी की समस्याएं पैदा होने लगती है और पीडरिड्स इररेग्युलर हो जाते हैं। यह भी प्री-डायबिटीज होने का एक लक्षण हो सकता है।
- बहुत प्यास लगना, अधिक पानी पीने पर भी आपकी प्यास भूजती नहीं।
- अगर आपको अचानक कुछ भी दिखने में दिक्कत होने लगी है तो समझ जाएं की ये प्री-डायबिटीज होने का संकेत है।
- अधिक कोलेस्ट्रॉल न सिर्फ ह्रदय पर वार करता है, बल्कि प्री-डायबिटीज का ये भी एक संकेत है।
अगर आपको अपने शरीर में ये लक्षण दिखाई देने लगें तो तुरंत अपने ब्लड शुगर टेस्ट करनाएं। ब्लड शुगर टेस्ट पता चलता है की आपका ब्लड ग्लूकोज लेवल सामान्य है या उससे अधिक है।
प्री डायबिटीज की रेंज क्या है?
अगर आपको डायबिटीज है तो आपकी फास्टिंग शुगर – 126 मि.ग्रा से अधिक है और पी.पी. शुगर यानी खाने के 2 घंटे बाद 200 मि.ग्रा. से अधिक होती है। वहीं अगर आपको डायबिटीज नहीं है, लेकिन आप सामान्य भी नहींं है, तो आप प्री-डायबिटीज की अवस्था से गुजर रहे हैं। और वही दूसरे शब्दों में कहे तो ब्लड टेस्ट किया जाएं और खाली पेट ग्लूकोज लेवल 100 से अधिक और भोजन के साथ 75 ग्राम ग्लूकोज लेने के बाद 140 से अधिक होने लगे तो इसे प्री-डायबिटीज कहा जाता है यानी की अब आप डायबिटीज की कतार में है।
प्री डायबिटीज के सटीक उपचार क्या है?
प्री-डायबिटीज के उपचार से डायबिटीज टाइप – 2 के जोखिम को कम कर सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति में प्री-डायबिटीज की जांच की जाती है तो डॉक्टर लाइफस्टाइल मं कुछ बदलाव करने की सलाह देते हैं। डायबिटीज का लेवल अधिक होने पर रक्त शर्करा को कंट्रोल करनो के लिए मेटफॉर्मिन जैसी दवाओं की सलाह देते हैं जैसे कि –
- रोजाना व्यायाम करना
- अपने आहार में हरी सब्जी और ताजे फलों को शामिल करें
- धूम्रपान न करना
- अगर डायबिटीज का लेवल अधिक है तो डॉक्टर द्वारा दी गई दवा का सेवन करें
प्री डायबिटीज से किस तरह बचाव किया जा सकता है?
प्री-डायबिटीज की समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है, लेकिन इसकी संभावना उन लोगों में होने की अधिक रहती है जिनकी उम्र 45 वर्ष हो या इससे अधिक हो। स्वास्थ्य वशेषज्ञों की माने तो, बॉडी मास इंडेक्स 25 से अधिक होने पर भी प्री-डायबिटीज का खतरा अधिक रहता है। यदि आपके वेस्ट और हिप्स के हिस्सों में अत्यधिक वजन हो। इसका अंदाजा लगाना आसान है। यह ध्यान रखें कि, पुरूषों का वेस्ट साइस 40 इंच या इससे अधिक होना वहीं महिलाओं का वेस्टल साइस 35 इंच या इससे अधिक होना। इसके साथ ही व्यक्ति का एक्टिव न रहना भी प्री-डायबिटीज की ओर इशारा करता है, इसलिए इसके बचाव का भी ध्यान रखना बेहद जरूरी है जैसे –
- यदि आप सिगरेट पीते हैं, तो इसे पूरी तरह से बंद कर दें। सिगरेट पीने से किसी भी व्यक्ति का शुगर लेवल बढ़ सकता है और अगर कोई भी डायबिटीज रोगी स्मोकिंग करता है, तो उसके शुगर लेवल में तुरंत ऐसा उछाल आता है जो उस मरीज को बहुत नुकसान पहुंचता है।
- वजन कंट्रोल में रखे। अगर आप अपना वजन पांच से 10 प्रतिशत तक भी घटा लेते हैं, इससे आपके स्वास्थ्य पर काफी सकारात्म प्रभाव पड़ सकता है।
- आपका खान-पान हेल्दी होना चाहिए। शरीर में अधिक सोडियम होने से पानी का जमाव होता है जिससे खून का आयतन बढ़ जाता है जिसकी वजह से रक्तचाप बढ़ जाता है। भोजन में सोडियम की मात्रा कम करें। साथ ही सामान्यतौर पर 10 ग्राम नमक लोग एक दिन में खाते हैं। इसे कम करके 3 ग्राम तक कर देना चाहिए। नमकीन चीजें जैसे – नमकीन, आचार, पापड़ से पूरी तरह से परहेज करें।
- अगर आपका हाई कोलेस्ट्रॉल या हाई ब्लड प्रेशर है, तो उसे भी कंट्रोल में रखें।
- भोजन में पौटेशियम युक्त चीजें बढ़ा दें। डिब्बा बंद सामग्री का इस्तेमाल न करें। साथ ही सैचुरेटेड फैट की मात्रा कम करें। साथ ही भोजन में कैल्शियम और मैगनिश्यम की मात्रा भी संतुलित करें। इसके अलावा अपने भोजन में फाइबर युक्त चीजों का सेवन बढ़ा दें जैसे फलों के छिलके, साग, चोकर युक्ट आटा और इसबगोल आदि।
- प्री-डायबिटीज को खत्म करने के लिए रोजाना व्यायाम करना बहुत जरूरी है। हफ्ते के पांच दिन कम से कम 30 मिनट से भी कर सकते हैं। खूब तेज लगातार 30 मिनट पैदल चलना सबसे बेस्ट एक्सरसाइज है या फिर आप योग, ध्यान, प्राणायाम को अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करें। लेकिन साथ ही ऐसा करने से पहले अपने डॉक्टर से जूरूर सलाह लें।
प्री डायबिटीज के लिए जरूरी टेस्ट कौन कौन से है?
जिन लोगों को प्री-डायबिटीज होता है उनमें ब्लड ग्लूकोज का स्तर सामान्य की तुलना में अधिक रहता है, लेकिन डायबिटीज वालों की तुलना में कम होता है। जांच जो प्री-डायबिटीज को डायग्रोज करने में मदद कर सकती है, वे भी निम्न प्रकार ही है –
फास्टिंग प्लाज्मा टेस्ट – इस टेस्ट के लिए व्यक्ति को 8 घंटे तक कुछ न खाने की सलाह दी जाती है। फास्टिंग प्लाज्मा टेस्ट से प्राप्त रक्त शर्करा के परिणाम कुछ इस तरह के हो सकते हैं.
- सामान्य लेवल – 100 mg/dl से कम रक्त शर्करा।
- प्री-डायबिटीज की श्रेणी – 100 से 125 mg/dl के मध्य।
- डायबिटीज – 126 mg/dl से अधिक रक्त शर्करा का स्तर हो सकता है।
ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट – इस जांच में रोगी का दो बार टेस्ट किया जाता है पहले खाली पेट और दूसरा कुछ घोल पिलाकर टेस्ट लिया जाता है। इसके परिणाम इस तरह हैं –
- सामान्य लेवल – दूसरे जांच में ब्लड शुगर के लेवल 140 mg/dl से कम आया हो।
- प्री- डायबिटीज का लेवल – दूसरे जांच में ब्लड शुगर का लेवल 140 से 199 mg/dl हो।
- डायबिटीज – दूसरे ब्लड शुगर की जांच के बाद 200 mg/dl से अधिक आया हो।
हीमोग्लोबिन A 1c टेस्ट – हीमोग्लोबिन के टेस्ट में ब्लड की जांच की जाताी है। यह ब्लड जांच दो से तीन महीनों के ब्लड शुगर को ही मापा जाता है। ब्लड शुगर के आधार पर यह परिणाम हो सकता है जैसे –
- सामान्य लेवल – 5.6 से कम ब्लड शुगर हो।
- प्री डायबिटीज लेवल – 5.7 से 6.4 ब्लड शुगर हो।
- डायबिटीज – 6.5 से अधिक हो।
प्री-डायबिटीज के लिए ये बेस्ट एक्सरसाइज
डायबिटीज की तरह ही प्री-डायबिटीज में भी एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है। कैलोरी बर्न करने के लिए योग और व्यायाम करके वजन को सामान्य बनाएं रखने की कोशिश करें। रक्त शर्करा को सामान्य लेवल पर लाने के लिए रोजाना व्यायाम करने की आदत बना लें, तो काफी हद तक ब्लड शुगर को नियंत्रित रखा जा सकता है और प्री-डायबिटीज की स्थिति से बचा जा सकता है। तो चाहिए जानते हैं प्री-डायबिटीज रोगियों के लिए बेस्ट एक्सरसाइज।
- स्विमिंग – स्विमिंग शरीर के लिए बेस्ट एक्सरसाइज मानी जाती है। यह ना सिर्फ आपको फिट बनाए रखती है, बल्कि डायबिटीज को नियंत्रित करने में भी काफी सहायक है। एक रिसर्च के अनुसार, टाइप-1 और टाइप -2 दोनों ही तरह की डायबिटीज में स्विमिंग फायदेमंद होती है। तेरने से हमारे खून में रक्त संचार में तेजी आती है और कोलेस्टॉल की मात्रा भी कम होती है, जिससे वजन और ब्लड शुगर लेवल में उतार – चढ़ाव नहीं होता।
- डांस करें – डांस को सबसे बेस्ट एक्सरसाइज मानी जाती है क्योंकि, यह आपका मनोरंजन करने के साथ – साथ आपके डिप्रेशन को भी दूर करती है। डांस के कई स्वास्थ्य फायदे होते हैं जिनमें से एक डायबिटीज की समस्या से राहत भी है। डांस करने से मेटाबॉलिज्म भी बेहतर होता है और डायबिटीज के होने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है यानी कि यदि आप प्री-डायबिटीज के मरीज हैं तो आपको डांस करने की जरूरत है और खुश रहे।
- साइकिलिंग करें – साइकिलिंग एक तरह की एरोबिक्स एक्सरसाइज है, जो ग्लूकोज के स्तर को सामान्य करने के साथ वजन और ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करने में मदद करती है, इसलिए ऐसे लोग जो 40 वर्ष से कम ऐज के हैं और वे डायबिटीज से पीड़ित हैं, तो ऐसें लोगों में साइकिलिंग सबसे बेहतरीन एक्सरसाइज मानी जाती है। इसके साथ ही आसान एक्टिविटी के लिए भी साइकिलिंग बेहतर साबित हो सकती है।
- जॉगिंग पर जाएं – जॉगिंग तो सभी के लिए फायदेमंद है, क्योंकि रोजाना पैदल चलना आपको कई तरह के स्वास्थ्य लाभ पहुंचाता है। डायबिटीज की समस्या से राहत दिलाने में भी जॉगिंग काफी फायदेमंद है। प्री-डायबिटीज के मरीजों के लिए यह किसी इलाज की तरह है। खासकर टाइप – 2 डायबिटीज में जॉगिंग काफी फायदेमंद होती है। इसके अलावा आप सुबह की शुरूआत जॉगिंग से शुरू करें।
- रोजाना योग करें – योगा करने से आपको कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है। योगा रक्त शर्करा लेवल को भी कंट्रोस करने में काफी फायदेमंद होता है। यह कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने में भी मदद करता है। एक शोध के अनुसार, डायबिटीज की समस्या से राहत दिलाने में योग काफी मददगार होता है। रोजाना आधे से एक घंटे योग करने से भी प्री-डायबिटीज की समस्या को कम किया जा सकता है।
निष्कर्ष
AgVa की वेबसाइट पर हमने आपको प्री-डायबिटीज से जुड़ी हर एक छोटी-बड़ी जानकारी देने का प्रयास किया है। आप इसके बारे में पढ़कर अपना तुरंत अपना इलाज शुरू कर सकते हैं। इसके साथ ही अपना परहेज का भी ध्यान रखें। अगर आप डायबिटीज से जुड़ी कुछ और जानकारी पाना चाहते हैं तो हमें कमेंट लिख कर बता सकते हैं। साथ ही आप हमारे यूट्यूब चैनल TV Health पर भी डायबिटीज से जुड़ी जानकारी पा सकते हैं।
FAQs
उत्तर – जब आपका रक्त शर्कर का स्तर सामान्य से थोड़ा ज्यादा रहता है, लेकिन ये नहीं कि इसे डायबिटीज का नाम दे दिया जाएं। तब इस टर्मिनोलॉजी को प्रीडायबिटीज कहा जाता है। प्री-डायबिटीज एक ऐसी समस्या है जो उस स्थिति को दिया गया है तब आपका शरीर डायबिटीज की तरफ सिग्नल दिखाने लगती है।
उत्तर – वैसे तो प्री-डायबिटीज के कुछ स्पष्ट संकेत नहीं हैं और यही कारण है कि अधिकांश लोगों को इसका पता भी नहींं चलता है। डॉक्टर इसका पता लगाने के लिए रक्त शर्करा और ब्लडप्रेशर का टेस्त करते हैं। साथ ही इसके सामान्य संकेत भी है जैसे बार-बार पेशाब आना और हर थोड़ी देर में प्यास लगना।
उत्तर – प्री-डायबिटीज को ठीक करने के लिए टाइप – 2 डायबिटीज के जोखिम को कम कर सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति में प्री-डायबिटीज की जांच की जाती है तो डॉक्टर लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करने की सलाह देते हैं। डायबिटीज के लेवल अधिक होने पर रक्त शर्करा को कंट्रोल करने के लिए मेटफॉर्मिन जैसी दवाओं की सलाह देते हैं। लेकिन ध्यान रखे कि अगर आप डॉक्टर आपको इस दवा के सेवन के लिए बोल रहे हैं तभी इसका सेवन करें।
उत्तर – सभी डायबिटीज को एक गंभीर बीमारी मानते हैं। लेकिन एक मशहूर शोधकर्ता केअनुसार, वियतनाम, बांग्लादेश, मलेशिया, स्विट्जरलैंड जैसे कई देशों में सेंटर चला रहे हैं जहां डायबिटीज कोई बीमारी है ही नहीं। वे सिर्फ एक मेडिकल कंडीशन अवस्था मानते है जो अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करके ठीक रखी जा सकती है।
उत्तर – वैसे तो डॉक्टर चावल खाने से मना करते हैं, लेकिन अगर अधिक मन है चावल खाने का तो, डायबिटीज के रोगियों को ऐसे चावल खाने चाहिए जिनमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम हो। ग्लाइसेमिक इंडेक्स उन चावों में कम होता है जिसमें स्टार्च कम होता है। जैसे उसना चावल यानी की ब्राउन राइस ही इसका सबसे बेहतर विकल्प है।
उत्तर – अगर आप खाना-खाने के बाद ब्लड शुगर लेवल चेक करना चाहते हैं तो 2 घंटे बाद करें क्योंकि खाने के 2 घंटे बाद हेल्दी लोगों का रक्त शर्करा का स्तर करीब 130 से 140 mg/dl के बीच होने चाहिए। लेकिन डायबिटीज रोगियों का ब्लड शुगर लेवल 180 mg/dl होना चाहिए।
उत्तर – एक आम व्यक्ति के लिए 8 घंंटे नींद आवश्यक है लेकिन जो लोग डायबिटीज से जूझ रहे हैं, तो उनकी स्थिति कुछ अलग ही होती है। अधिकतर डायबिटीज के रोगियों की नींद रोजाना देर रात एक ही समय पर टूटती है। उनकी नींद सुंबह दो से तीन बजे के बीच किसी शोर की वजह से नहीं, बल्कि रक्त शर्करा के स्तर बढ़ने की वजह से खुल जाती है।
उत्तर- हार्मोन या बॉडी की एंडोक्राइन ग्लैंड्स यानी की अन्त स्त्रावी तंत्र के द्वारा निर्मित स्त्राव की कमी या अधिकता से अनेक रोग हो जाते हैं जैसे – डायबिटीज, थयरॉइड रोग, मोटापा, कद संबंधी समस्याएं, अवांछित बाल आना आदि भी इंसुलिन नाम के हॉर्मोन की कमी या इसकी कार्यक्षमता में कमी आने से डायबिटीज रोग या डाइयबिटीज मैलीट्स रोग होता है।
उत्तर – कुट्टू का आटा इसके बारे में सभी जानते होंगे। कुट्टू का आटा ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, अस्थमा जैसी गंभीर बीमारियों से बचाने में बहुत फायदेमंद होता है। जी हां, डायबिटीज यानी शुगर में कुट्टूू का आटा खाना फायदेमंद हैै, क्योंकि इसका सेवन करने से इंसुलिन लेवल सामान्य रहता है जिससे शुगर कंट्रोल में रहता है।
उत्तर – रक्त शर्करा का स्तर बढ़ना कई अंगों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। जी हां, बढ़ा हुआ ब्लड शुगर का स्तप किडनी की खराबी, अंधापन और दिल की समस्या का भी कारण बन सकता है। यही वजह है कि, डायबिटीज मरीजों को सामान्य रूप से शुगर लेवल की जांच करते रहने की सलाह दी जाती है।
उत्तर – नीचे दिए हुए इन लक्षणों के माध्मय से बढ़े हुए शुगर लेवल की पहचान की जा सकती है जैसे – अधिक थकान रहना, बार-बार यूरिन पास होना , प्यास अधिक लगना, अचानक वजन कम होना , हर थोड़ी देर में भूख लगना सिर दर्द रहना, प्राइवेट पार्ट में दिक्कत , बेचैनी, कपकपी , ज्यादा भूख लगना , पसीना आना , बेहोशी , दौरा पड़ सकता, व्यवहारिक बदलाव.