Causes of Hypertension in Teens:
हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या. प्रत्येक वर्ष दुनिया भर में हाइपरटेंशन के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए यह दिवस मनाया जाता है. यह दिन हाई ब्लड प्रेशर की रोकथाम, डिटेक्शन, कारण और नियंत्रण पर केंद्रित होता है. हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप कई तरह की सेहत से संबंधित समस्याओं जैसे हृदय रोग, स्ट्रोक, थायरॉएड को जन्म देता है. प्रत्येक वर्ष हाइपरटेंशन के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए एक खास थीम रखी जाती है. इस वर्ष की थीम है ‘मेज़र योर ब्लड प्रेशर एक्युरेटली, कंट्रोल इट, लिव लॉन्गर’.
साइलेंट किलर है हाइपरटेंशन
आयुर्वेदिक पंचकर्मा हॉस्पिटल (प्रशांत विहार, उत्तरी दिल्ली नगर निगम) के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट, आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. आर. पी. पाराशर कहते हैं कि साइलेंट किलर के रूप में हाइपरटेंशन मौत का मुख्य कारण बन चुका है. विश्व में इस समय लगभग 128 करोड़ लोग हाइपरटेंशन यानि उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझ रहे हैं, जिनमें से आठ करोड़ से अधिक अकेले भारत में ही हैं. हाइपरटेंशन के परिणाम स्वरूप होने वाले हृदय रोग व स्ट्रोक जैसी बीमारियों के कारण, जहां सबसे अधिक मौतें होती हैं, वहीं इनके इलाज पर होने वाला खर्च अर्थव्यवस्था पर सबसे भारी बोझ है.
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किशोर और युवा भी हो रहे हैं इस रोग से पीड़ित
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. आर. पी. पाराशर कहते हैं कि किशोरों और युवाओं का इस रोग की गिरफ्त में आना इसका सबसे चिंताजनक पहलू है. इस समय भारत में लगभग 7.6% किशोर हाइपरटेंशन से ग्रस्त हैं. किशोरावस्था में न तो नियमित रूप से जांच की कोई पुख्ता व्यवस्था है और न ही इस उम्र में रोग के लक्षण दिखाई देते हैं, जिससे युवावस्था तक पहुंचने से पहले ही शरीर के कई अंगों को काफी नुकसान पहुंच चुका होता है.
किशोरों में हाइपरटेंशन का इलाज
यदि किशोरावस्था में ही बीमारी पकड़ में आ जाए, तो न केवल नुकसान से शरीर का बचाव हो सकता है, बल्कि आहार और विहार से ही रोग का इलाज संभव है. किशोरों को हाइपरटेंशन से बचाने के लिए आवश्यक है कि स्कूलों और अस्पताल के बाल रोग विभागों में ब्लड प्रेशर की जांच अनिवार्य की जाए. किशोरावस्था में स्क्रीनिंग होने से हाइपरटेंशन और इसके परिणाम स्वरूप होने वाले रोगों से पूर्णतः बचा जा सकता है.
हाइपरटेंशन होने के मुख्य कारण
हाइपरटेंशन होने के मुख्य कारण हैं अधिक गरिष्ठ व वसायुक्त भोजन का लगातार सेवन करना, एक्सरसाइज ना करना, तनाव, चिंता, अवसाद जैसी मानसिक स्थिति का लगातार बने रहना. हाइपरटेंशन से बचाव और इलाज के लिए ज़रूरी है कि हम अपने आहार विहार और जीवनशैली में उपरोक्त कारणों को मद्देनजर रखते हुए परिवर्तन करें.
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आयुर्वेद में हाई ब्लड प्रेशर का इलाज
डॉ. आर. पी. पाराशर कहते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार हाई ब्लड प्रेशर दो तरह के दोषों पित्त और वात की वजह से होता है, इसलिए हाई ब्लड प्रेशर के आयुर्वेदिक इलाज में औषधियों की मदद से इन दोषों को ही संतुलित करने का प्रयास किया जाता है. सर्पगंधा, जटामांसी, शंखपुष्पी आदि आयुर्वेदिक औषधियां हाइपरटेंशन के उपचार में में मदद करती हैं. इसके अलावा तुलसी, पुनर्नवा, ब्राह्मी, गुलकंद, तगर आदि दवाएं दिमाग की शांति के लिए उपयोगी हैं.
साथ ही, हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए शाकाहार सबसे अच्छा उपाय है. खीरा, तरबूज, अजवाइन, करेला और लहसुन को अपनी डाइट में शामिल करें, तो हाइपरटेंशन में काफी आराम मिलेगा. वनस्पति घी, मक्खन व फास्ट फूड से परहेज भी जरूरी है. कैफीन उत्पादों से परहेज करना हाई बीपी के लिए बेहद जरूरी है. भोजन में नमक की मात्रा भी कम ही लेनी चाहिए. हाइपरटेंशन से छुटकारा पाने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना बेहद जरूरी है.
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FIRST PUBLISHED : May 17, 2022, 06:00 IST
यह लेख hindi.news18.com से लिया गया है