अल्ट्रासाउंड क्या है, खर्च, कब, क्यों, कैसे होता है? (What is the cost of an Ultrasound Scan)
अल्ट्रासाउंड को सोनोग्राफी भी कहा जाता है, ये बॉडी में हो रही गतिविधियों की फोटो बनाने के लिए इसमें ध्वनि तरगों को उपयोग किया जाता है (What is the cost of an ultrasound scan)। ये एक उपकरण है जिसे ट्रांसड्यूसर कहा जाता है, ये उच्च आवृत्ति की ध्वनि छोड़ता है, जो कानों को नहीं सुनाई देती। जैसे ही ये ध्वनि तरगें नरम ऊतकों व अंगों का आकार, प्रकार और स्थिरता को निर्धारित करने के लिए उछाल या गतिविधि करती है, तो उसको गूंज की मदद से रिकॉर्ड किया जाता है।
साथ ही सारी जानकारी उस ही समय कंप्यूटर को भेजी जाती है, जो इन जानकारियों की तस्वीर स्क्रीन पर दिखता है। इस टेस्ट को कैसे करना है, इसके लिए अल्ट्रासाउंड के तकनीशियन या सोनोग्राफरों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। अल्ट्रासाउंड के तीन प्रकार होते हैं जैसे कि –
- बाहरी अल्ट्रासाउंड स्कैन
- आंतरिक अल्ट्रासाउंड स्कैन
- एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड स्कैन
अल्ट्रासाउंड का खर्च
हर जगह का खर्च अलग-अलग खर्च होता है, बात करें दिल्ली/NCR की सोनोग्राफी कीमत आपके द्वारा चुनी गई लैब के आधार पर 300 से 2000 रूपये तक हो सकती है।
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अल्ट्रासाउंड कब करवाना चाहिए?
अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल सबसे अधिक गर्भावस्था के लिए होता है। ये स्कैन गर्भवती मां को अपने अजन्मे बच्चे का पहला दृश्य दिखाता है, लेकिन अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल कई ओर प्रयोग में किया जाता है। साथ ही यदि आपको सूजन, दर्द या अन्य ऐसे लक्षण है जिनमें बॉडी के अंदरूनी अंगों को देखने की जरूरत पड़ती है, तो डॉक्टर आपको अल्ट्रासाउंड करवाने का निर्देश भी दे सकते हैं। अल्ट्रासाउंड की मदद से निम्न चीजें देखी जा सकती है जैसे –
बायोप्सी जैसी कुछ मेडिकल प्रक्रियाओं के समय अल्ट्रासाउंड सर्जरी करने वाले डॉक्टर को मार्गदर्शन करने में भी सहायता करती है।
अल्ट्रासाउंड क्यों होता है?
अल्ट्रासाउंड का उपयोग दिल की परेशानियों का पता लगाने, शरीर के अन्य हिस्सों जैसे लिवर, किडनी और पेट की जांच करने में भी किया जाता है और कुछ प्रकार की बायोप्सी करते वक्त सर्जन का मार्गदर्शन करने में भी किया जाता है।
अल्ट्रासाउंड कैसे होता है?
अल्ट्रासाउंड स्कैन मनुष्य के शरीर के हर हिस्से का किया जाता है। अल्ट्रासाउंज करने के लिए ट्रांसड्यूसर कई आकार के आते हैं जो अलग-अलग जगहों का अल्ट्रासाउंड करने के लिए काम में आता है। साथ ही जब ट्रांसड्यूसर के करंट ऑन किया जाता है तो क्रिस्टल में वाइब्रेशन शुरू होता है। ये वाइब्रेशन ध्वनि तरंगे भेजता है, जो 1 से 18 मेगाहर्टज तक होती है। ये तरंगे मनुष्य के कान नहीं सुन सकते हैं।
सोनोग्राफी शुरू करने से पहले एक पानी युक्त जेल जहां का अल्ट्रासाउंज होना है, वहां की स्किन पर लगाया जाता है। ये जेल ट्रांसड्यूसर और स्किन के बीच में होने वाले हवा के छोटे कणों को खत्म कर देता है और अल्ट्रासाउंड स्कैन आपकी गर्भावस्था के बारे में या किसी किसी बीमारी के बारे में जरूरी और विश्वसनीय सूचना देता है।
नोट – अल्ट्रासाउंड हर किसी को करवाना चाहिए, खासकर गर्भवती महिलाओं को। अल्ट्रासाउंड में आपको बेहद आसानी से आपके शरीर में पल रही बीमारी के बारे में पता चलता है और समय रहते इसका इलाज करवा सकते हैं। साथ ही आल्ट्रासाउंड का खर्च भी इस आर्टिकल के द्वारा जान सकते हैं।