मलेरिया से बचाव के 5 प्रकार हैं – 5 Types of Malaria
Types of Malaria in Hindi – मलेरिया का बुखार एक संक्रामक रोग (infectious disease) है, जो व्यक्ति को फीमेल एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है। इस मच्छर में एक मुख्य प्रकार (Types of malaria) का जीवाणु पाया जाता है जिसे डॉक्टर भाषा में प्लाज्मोडियम कहा जाता है। साथ ही मलेरिया फैलाने वाली इस मादा मच्छर में पाए जाने वाले जीवाणु की 5 जातियां (मलेरिया के प्रकार होती है। मच्छर के काटने से प्लाज्मोडियम नामक जीवाणु हमारे शरीर में चले जाता है और वे मरीज के शरीर में कई गुना वृद्धि करता है। ये जीवाणु लिवर और खून कोशिकाओं को संक्रमित करके रोग को बीमार करता है। समय पर इलाज न होने की स्थिति में ये मर्ज जानलेवा हो सकता है। बुखार, पसीना आना, शरीर में दर्द (मलेरिया के लक्षण) और उल्टी आना इस रोग के लक्षण है। अपने आसपास गंदगी और पानी इकठ्ठा न होने देने पर इस मच्छर को पनपने से रोका जा सकता है।
मलेरिया के कितने प्रकार होते हैं? (How many types of malaria are there in Hindi?)
1. प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (plasmodium falciparum)
आंकड़ों के अनुसार वैश्विक स्तर पर मलेरिया का ये प्रकार सबसे गंभीर माना जाता है, क्योंकि मलेरिया स मरने वाले बहुत से मरीजों में इसी प्रकार का मलेरिया (Types of malaria in hindi) पाया जाता है। मलेरिया के इस प्रकार के बुखार में रोगी को बहुत उल्टी होती है और रोगी पूरी तरह से होश खो बैठता है। प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (P.falciparum) से संक्रमित व्यक्ति को कंपकंपी के साथ बुखार और तेज सिरदर्द रहने लगता है।
2. सोडियम विवैक्स (sodium vivax)
ये भी मलेरिया का एक कॉमन प्रकार है, क्योंकि प्रतिवर्ष इससे जुड़े बहुत से मामले सामने (Types of malaria in hindi) आते हैं। जी हां, शोधकर्ताओं के मुताबिक, इसके मच्छर और परजीवी दिन के समय डंक मारते हैं और लगभग 3 दिनों के बाद ही ये संकेत देने लगते हैं। इसलिए जब तक इस प्रकार के मलेरिया का पता चलता है तब बहुत देर हो चुकी होती है और सोडियम विवैक्स (Types of malaria in hindi) टाइप मलेरिया में पीड़ित व्यक्ति में ये लक्षण नजर आने लगते है जैसे – भूख का मर जाना या खाना खाने की इच्छा ना होना, तेज बुखार, सिर दर्द, कम दर्द और हाथ-पैरों में तेज दर्द आदि।
3. प्लाज्मोडियम ओवेल मलेरिया (Plasmodium ovale malaria)
इस प्रकार के मलेरिया से पीड़ित लोगों को बहुत अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता पड़ती है, क्योंकि प्लाज्मोडियम ओवेल मलेरिया बीमारी का एक असामान्य प्रकार है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस मलेरिया के जीवाणु कई वर्षों तक मरीड के लिए में रह सकते हैं और भविष्य में इससे बीमार होने की संभावना भी अधिक ही होती है।
4. प्लास्मोडियम नोलेसी (plasmodium knowlesi)
ये भी मलेरिया का एक प्रकार है जिसकी वजह से एक प्राइमेट मलेरिया परजीवी होता है। प्लास्मोडियम नोलेसी से पीड़ित लोगों को कंपकंपी के साथ बुखार होता है।
5. प्लास्मोडियम मलेरिया (plasmodium malaria)
बेनाइन मलेरिया के नाम से भी पहचाना जाने वाला ये मलेरिया अधिक घातक तो नहीं होता है, लेकिन आगे चलकर इससे क्वार्टन मलेरिया होने का खतरा बढ़ जाता है। इस प्रकार के मलेरिया से पीड़ित (Types of malaria in hindi) लोगों को 3-4 दिनों के बाद बुखार आने लगता है और पीड़ित व्यक्ति के यूरिन के साथ प्रोटीन भी निकलने लगता है। साथ ही पीड़ित व्यक्ति को बहुत अधिक कमजोरी महसूस हो सकती है।
मलेरिया से बचने के उपाय (ways to prevent malaria in Hindi)
मलेरिया के मच्छर रूके हुए पानी में पनपते हैं और इसलिए मलेरिया के मच्छरों से बचने के लिए और मच्छरों को पनपने से रोकने के बारे में जानना बेहत जरूरी है। खासरक बरसात के मौसम में यहां-वहां बारिश का पानी इकठ्ठा होना है और इसी पानी में मच्छर पनपने लगते हैं। मलेरिया की बीमारी से बचने (डेंगू मलेरिया से बचने के उपाय)और मच्छरों के डंक से सुरक्षित रहने के लिए इस तरह के उपाय अपनाए जा सकते हैं जैसे –
1. सुबह और शाम के समय मच्छर अधिक सक्रिय रहने रहते हैं इसलिए इस समय घर के दरवाजे, रोशनदान और खिड़कियां बंद कर दें।
2. घर में मच्छर खिड़कियों और दरवाजों से प्रवेश करते हैं इसलिए घर की सभी खिड़कियों पर जाली लगवाएं। इस तरह मच्छरों को घर में आने का रास्ता नहीं मिल सकेगा और आपका परिवार मच्छरों से सुरक्षित (डेंगू मलेरिया से बचने के उपाय) रहेगा।
3. अपने घर की अच्छे से साफ-सफाई करके रखे।
4. मलेरिया के लक्षण दिखने पर अपने डॉक्टर को इस बारे में सूचित करें और सभी आवश्यक टेस्ट कराएं। इस तरह समय पर इलाज प्रारंभ करने में सहायता होगी।
5. घर के अंदर, लॉन या बाल्कनी जैसे स्थानों पर पानी जमा ना होने दें। गमलों, पानी की टंकियों और फव्वारों आदि की सफाई करें और उनमें पानी जमा ना होने दें।
6. जब आप घर से बाहर जाएं तो पूरी बांह के कपड़ें यानी full sleevs के कपडे पहनें। इस तरह बच्चों को बाहर खेलने भेजे, उन्हें मच्छरों से सुरक्षित रहनेे में मदद करें।
7. अगर आपके घर में कोई बढ़े बुजुर्ग व्यक्ति या बहुत छोटे बच्चे हैं तो उनका खास ध्यान रखें। उनका रूटीन चेकअप कराते रहे हैं और उन्हें मच्छरों से सुरक्षित रहने (डेंगू मलेरिया से बचने के उपाय) में मदद करें।
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डिस्कलेमर (Disclaimer)
इस लेख में दी गई बीमारी से जुड़ी सभी जानकारियां केवल सूचनात्मक है। अगर आपको को इस बीमारी के कुछ संकेत नजर आ रहे हैं तो अपनी जांच करवाएं और उन्हीं के अनुसार अपना जीवनशैली और आहार का खास ध्यान रखना हैं।