निमोनिया क्या है (What is Pneumonia in Hindi)
Pneumonia in Hindi – फेफड़ों में इंफेक्शन होने को निमोनिया कहा जाता है। इससे फेफड़ों में सूजन की स्थिति बन जाती है। निमोनिया मुख्य रूप से विषाणु और जीवाणु के इंफेक्शन से होते हैं। ये वायरस, बैक्टीरिया और पेरासाइट्स की वजह से भी हो सकता है। वहीं इसके कम तौर पर अन्य सूक्ष्मजीव, कुछ दवाओं और दूसरे रोगों के इंफेक्शन से भी होने की संभावना रहती है।
इसके अलावा यदि निमोनिया को बढ़ावा देने वाली परिस्थितियों और कारकों पर बात करें तो धूम्रपान, रोगी प्रतिरोधक क्षमता में कमी, अत्यधिक शराब पीना, फेफड़ों से जुड़ा गंभीर रोग, गंभीर किडनी की बीमारी और फेफडे रोग शामिल है। साथ ही कुछ दवाओं जैसे प्रोटॉन-पंप इन्हिबटर्स या H2 ब्लॉकर्स के इस्तेमाल से भी निमोनिया का खतरा बढ़ने की संभावना रहती है। वृद्धावस्था में भी निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। ये अस्थमा, दिल की बीमारी, ब्रोन्किइक्टेसिस आदि से पीड़ित मरीजों में भी निमोनिया का जोखिम (What is pneumonia in Hindi?) अधिक रहता है।
निमोनिया के प्रकार (Types of Pneumonia in Hindi)
निमोनिया (pneumonia in Hindi) के मुख्य पांच प्रकार है जैसे –
1. बैक्टीरियल निमोनिया – ये विभिन्न बैक्टीरिया जैसे, स्ट्रेप्टीकोकस निमोने के कारण होता है। ये तब होता है जब शरीर कमजोर हो जाता है। किसी तरह की बीमारी, पोषक की कमी, बुढापा आदि में बैक्टीरिया से ग्रस्त होने पर निमोनिया हो सकता है। बैक्टीरिया निमोनिया सभी उम्र को प्रभावित करती है।
2. वायरल निमोनिया – इस प्रकार का निमोनिया (pneumonia in Hindi) इन्फ्लूएंजा सहित विभिन्न वायरल की वजह से होता है। अगर आपको वायरल निमोनिया है तो बैक्टीिरियल निमोनिया होने की अधिक संभावना है।
3. माइकोप्लाज्मा निमोनिया – इसके कुछ अलग प्रकार के लक्षण होते हैं। ये माइकोप्लासम निमोने नाम के बैक्टीरिया के कारण होता हैं।
4. फंगल निमोनिया – ये विभिन्न स्थानों या अन्य कारणों जैसे – फंगस से होता है।
5. एस्पिरेशन निमोनिया – इस प्रकार का निमोनिया (pneumonia in Hindi) किसी भोजन तरल पदार्थ या धूल से होता है। निमोनिया के इस प्रकार को कभी-कभी ठीक करना मुश्किल हो जाता है।
निमोनिया के कारण (Causes of Pneumonia in Hindi)
निमोनिया (pneumonia in Hindi) तब होता है जब बैक्टीरिया फेफड़ों में प्रवेश करते हैं और बीमारी पैदा करते हैं। इंफेक्शन के प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया फेफड़ों में वायु थैली की सूजन का कारण बनती है। सूजन के परिणामस्वरूप हवा की थैली अंतत: मवाद और तरल पदार्थ से भर सकती है, जिसके परिणामस्वरूप निमोनिया के लक्षण हो सकते हैं। निमोनिया विभिन्न प्रकार के संक्रामक जीवों की वजह से हो सकता है, जिनमें बैक्टीरिया, वायरस और कवक शामिल है।
निमोनिया के (जोखिम) रिस्क फैक्टर (Risk Factors of Pneumonia in Hindi)
बहुत से ऐसे जोखिम कारक है जो निमोनिया की संभावना को बढ़ाते हैं। निमोनिया के मुख्य जोखिम कारक कुछ इस प्रकार है –
- धूम्रपान करना
- कुपोषित होना
- 65 से अधिक उम्र होना
- फेफड़ों से संबंधित समस्या जैसे कि ब्रोंकाइटिटिस और अस्थमा आदि से पीड़ित होना
- स्ट्रोक की शिकायत होना
- दिल की बीमारी से पीड़ित होना, ऑर्गन ट्रांसप्लांट कराना या इनके कारण बॉडी कमजोर होना
- अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होना
ऊपर दिए गए जोखिम कारण निमोनिया (pneumonia in Hindi) के खतरे को बढ़ाते हैं। यदि आप ऊपर दिए गए बिंदुओं से खुद को जोड़ पाते हैं तो आपको डॉक्टर से परामर्श कर इसका सही इलाज करना चाहिए।
निमोनिया के लक्षण (Symptoms of Pneumonia in Hindi)
किसी भी बीमारी की पहचान के लिए उसके लक्षणों (pneumonia symptoms) की जानकारी होना बहुत जरूर है। ऐसे में निमोनिया जैसी गंभीर बीमारी के लक्षण भी समय पर पहचान लिए जाए तो ट्रीटमेंट में आसानी रहती है और वे लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं –
निमोनिया इंफेक्शन में प्रमुख लक्षणों में खांसी, सीने में दर्द, बुखार और सांस लेने में दिक्कते होती है। साथ ही यदि आपका तापमान 105 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच गया है तो ये निमोनिया का संकेत हो सकता है
- यह सामान्य तौर पर फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं जो बाद में धीरे-धीरे या फिर एक दम से बढ़ने लगते हैं
- मरीज को कमजोरी आ जाती है और थकान महसूस होती है
- मरीज को बलगम वाली खांसी आती है
- रोगी को बुखार के साथ पसीना आता है कंपकंपी महसूस होती है
- सांस लेने में कठिनाई होने से मरीज तेज या जोर-जोर से सांस लेने लगता है
- मरीज को बेचैनी होती है
- बीपी का कम हो जाना
- खांसी में खून आना
- मरीज को भूख कम लगती है या बंद हो जाती है
- धड़कन का तेज हो जाना
- मतली और उल्टी आना
इसके अलावा बच्चों में भी निमोनिया (pneumonia meaning in Hindi) के लक्षण इसी प्रकार समान ही रहते हैं।
निमोनिया की जांच (Diagnosis of Pneumonia in Hindi)
डॉक्टर रोगी के मेडिकल इतिहास के बारे में पूछकर और एक शारीरिक परीक्षा करके शुरू करेगा, जिसमें स्टेथोस्कोप की सहायता से जांच की जाएगी। अगर निमोनिया का संदेह है, तो अपने डॉक्टर से निम्नलिखित जांच की सिफारिश कर सकता है –
- रक्त जांच – ब्लड ट्रेस्ट का इस्तेमाल इंफेक्शन की पुष्टि करने और इंफेक्शन पैदा करने वाले जीव के प्रकार की पहचान करके के लिए किया जाता है, लेकिन सटीक जानकारी हमेशा सिफारिश कर सकता है।
- छाती का एक्स-रे – ये डॉक्टर को निमोनिया का निदान (pneumonia treatment in Hindi) करने और इंफेक्शन की सीमा और स्थान निर्धारित करने में सहायता करता है, लेकिन आपके डॉक्टर को नहीं बता सकते है कि निमोनिया किस प्रकार के रोगाणु का कारण बन सकता है।
- पल्स ओक्सिमेट्री – ये रक्त में ऑक्सीजन के लेवल को मापता है। निमोनिया फेफड़ों को रक्त प्रवाह में पर्याप्त ऑक्सीजन ले जाने से रोक सकता है।
- थूक की जांच – फेफड़ों से तरल पदार्थ का एक नमूना गहरी खांसी के बाद लिया जाता है और इंफेक्शन की वजह से पता लगाने में सहायता करने के लिए विश्लेषण किया जाता है।
इसके अलावा अगर मरीज 65 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, तो अस्पताल में हैं या गंभीर लक्षण या स्वास्थ्य की स्थिति है, तो अतिरिक्त जांच के आदेश दे सकते हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं।
- सीटी स्कैन – अगर मरीज का निमोनिया (pneumonia in Hindi) अपेक्षा के अनुरूप जल्दी से साफ नहीं हो रहा है, तो मरीज का डॉक्टर आपके फेफड़ों की अधिक विस्तृत छवि प्राप्त करने के लिए छाती सीटी स्कैन की सिफारिश कर सकता है।
- फुफ्फुस द्रव संस्कृति – फुफ्फुस क्षेत्र से मरीज की पसलियों के बीच एक सुई लगाकर एक द्रव का नमूना लिया जाता है और इंफेक्शन के प्रकार को निर्धारित करने में सहायता करने के लिए विश्लेषण किया जाता है।
निमोनिया का उपचार (Treatment of Pneumonia in Hindi)
आपका उपचार निमोनिया (pneumonia in Hindi) के कारणों पर निर्भर करता है। बैक्टीरिया निमोनिया के लिए डॉक्टर आपको एंटी-बायोटिक दे सकते हैं। वायरल टाइप के लिए वे आपको एंटी-वायरल दवाई दे सकते हैं। फंगल के लिए एंटी-फंगल दवाइयों की आवश्यकता होगी। इसके साथ ही आपको बहुत अधिक रेस्ट और हाइड्रेशन की आवश्यकता होती है। हॉस्पिटल उपचारों में इंट्रावेनस एंटी बायोटिक्स, रेस्पिरेटरी थेरेपी आदि शामिल होती है। आपको ऑक्सीजन लेवल में वृद्धि होने के लिए ऑक्सीजन थेरेपी की आवश्यकता भी पड़ सकती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. निमोनिया रोग किसकी कमी से होता है?
इस प्रकार का निमोनिया विभिन्न बैक्टीरिया जैसे कि, स्ट्रेप्टोकोकस निमोने की वजह से होता है। इस बैक्टीरिया की वजह से शरीर में कमजोरी आने लगती है। पोषम की कमी, किसी प्रकरा की बीमारी या बुढापा आदि में बैक्टीरिया से ग्रस्त होने पर बैक्टीरियल निमोनिया हो सकता है।
Q2. निमोनिया होने से क्या होता है?
निमोनिया एक फेफड़ो का इंफेक्शन है जिसकी वजह से एक या दोनों फेफड़ों में हवा की थैली में सूजन आ जाती है। कफ या मवाद के साथ खांसी, बुखार, ठंड लगना और सांस लेने की दिक्कते तब हो सकती है जब वायु थैली द्रव या मवाद से भर जाए। निमोनिया बैक्टीरिया, वायरस और कवक सहित विभिन्न प्रजातियों की वजह से हो सकता है।
Q3. अगर निमोनिया हो जाए तो क्या करना चाहिए?
गर्म लिक्विड पीने से शरीर को गर्माहट मिलती है और जुकाम से राहत मितली है। निमोनिया में खांसी काफी होती है, जिससे सीने में दर्द होता है। वहीं ऐसा माना जाता है कि निमोनिया में यदि अदरक या फिर हल्दी की चाय पी जाए, तो लगातार आ रही खांसी में काफी आराम मिलता है।