क्लब फुट क्या होता है? – What is clubfoot in Hindi
clubfoot in Hindi – क्लब फुट पैर की असामान्यताओं का वर्णन करता है जो आमतौर पर जन्म मौजूद होती है। जिसमें बच्चे का अंदर की ओर मुड़ा रहता है। क्लब फुट में मांसपेशियों की हड्डी से जोड़ने वाले ऊतक यानी टिशूज सामान्य से कम होते हैं। क्लब फुट एक काफी सामान्य जन्म दोष है और ये जन्मजात ऑथोर्पेडिक विसंगति है, जिसे उपचार या ऑपरेटिव ट्रीटमेंट के जरिए पहले जैसी स्थिति में लाया जा सकता है।
क्लब फुट सामान्य या गंभीर हो सकता है। क्लब फुट समस्या से जुझ रहे लगभग आधे बच्चों के दोनों पैरों में ये होता है। अगर आपके बच्चे को क्लब फुट है, तो सामान्य रूप से चलना मुश्किल हो जाएगा, इसलिए डॉक्टर आमतौर पर सर्जरी के बिना क्लब फुट (clubfoot in Hindi) सफलतापूर्वक इलाज करने में सक्षम होते हैं। [Ref 1: physio-pedia]
क्लबफुट का मुख्य कारण – Causes of clubfoot in Hindi
ऐसे बहुत से केसों में क्लब फुट (clubfoot in Hindi) का कारण ज्ञात नहीं हैं, लेकिन एक आनुवंशिक लिंक हो सकता है, क्योंकि ये परिवार में किसी न किसी व्यक्ति को हुआ है जैसे –
- अगर आपके बच्चे को क्लब फुट है, तो आपके दूसरे बच्चे को भी होने की संभावना है इसमें 35 में से 1 हो सकते हैं।
- अगर माता-पिता में से किसी एक व्यक्ति का पैर क्लब है, तो आपके बच्चे के 30 में से लगभग 1 होने के संभावना है।
- अगर माता पिता दोनों को क्लब फुट है, तो ये लगभग 3 में से 1 तक बढ़ जाने की संभावना होती है।
क्लब पैर (clubfoot in Hindi) अधिक गंभीर स्थितियों से जुड़ा हुआ होता है जैसे कि स्पाइना बिफिडा।
क्लबफुट का निदान – Diagnosis of clubfoot in Hindi
प्रेग्नेंसी के समय 20 वें हफ्ते के अल्ट्रासाउंड स्कैन में भी क्लब फुट का पता लगा सकते हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में इस स्थिति का पता जन्म के बाद बाल रोग विशेषज्ञ या बाल रोग आर्थोपेडिक सर्जन द्वारा मेडिकल जांच के बाद ही लगाया जा सकता है।
क्या क्लब फुल का इलाज योग्य है?
क्लब फुट (clubfoot in Hindi) का इलाज पूरी तरह से किया जा सकता है। बस बशर्ते ये है कि इसका इलाज सही समय पर किया जाए। इस स्थिति के इलाज की प्रक्रिया में शिशु के पैर के प्रभावित हिस्से पर क्रमिक प्लास्टर किया जाता है, जो इसके दीर्घकालिक प्रभाव को रोकने में भी सक्षम होता है। वास्तव में सही इलाज के बाद इस विकृति के साथ पैदा हुई बच्चों को भविष्य में किसी भी कार्यात्मक कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता है।
साथ ही अच्छे परिणाम के लिए आवश्यक है, विकृति का पता चलते ही जिनता जल्दी हो सके इलाज शुरू करा दें। मशहूर डॉक्टर के अनुसार, जन्म के 5 से 7 दिनों के बाद कास्टिंग शुरू कर देना चाहिए। उचित समय पर इलाज से लगभग 95-98 प्रतिशत प्रभावित बच्चे पूरी तरह से बिना किसी सर्जिकल सुधार के ठीक हो सकते हैं। अगर गर्भावस्था के समय या जन्म के तुरंत बाद क्लब फुट (clubfoot in Hindi) का निदान कर लिया जाता है, तब इस स्थिति में माता-पिता को चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है।
वहीं यहां ये ध्यान रखने की जरूरत है कि, अगर समय पर इलाज नहीं कराया जाए तो ये स्थिति उम्र के साथ और बिगड़ सकती है इसलिए बच्चे के स्वस्थ और सामान्य जीवन जीने के लिए शुरूआती चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यक है। [Ref.2 Pubmed, Clubfoot in Hindi]
क्लबफुट का इलाज – Clubfoot treatment in Hindi
आपके नवजात शिशु की हड्डियां, जोड़े और टेंडन बहुत लचीले होते हैं, इसलिए उपचार आमतौर पर जन्म के एक या दो सप्ताह में शुरू होता है। उपचार का लक्ष्य लंबी अवधि की विकालांगता को रोकने की उम्मीद में, आपके बच्चे के पैरों के दिखने और काम करने के तरीके को वे चलना शुरू करें इससे पहसे बेहतर बनाना है।
1. क्लब फुट के उपचार के लिए स्ट्रेचिंग और कास्टिंग (पोंसेटी मेथड)
पोंसेटी मेथड के रूप में जानी जाते वाली ये तकनीक आजकल क्लब फुट (clubfoot in Hindi) के इलाज का मुख्य ट्रीटमेंट है। इसमें धीरे-धीरे आपके बच्चे के पैर को बेहतर स्थिति में लाना शामिल होता है, फिर इस पर एक प्लास्टर चढा दिया जाता है, जिसे कास्ट कहा जाता है। ये हर 5 से 8 सप्ताह तक के लिए दोहराया जाता है।
आखिरी कास्ट पूरा होने के बाद, अधिकांश बच्चों को अपने टखने के पीछे के टेंडन को ढीला करने के लिए एक मामूली ऑपरेशन की आवश्यकता होती है। ये लोकर एनेस्थेटिर का इस्तेमाल करके किया जाता है। ये बच्चे के पैर को और अधिक प्राकृतिक स्थिति में लाने में सहायता करता है।
2. क्लब फुट के इलाज के लिए फ्रांसीसी विधि
फ्रांसीसी फंक्शनल मेथड में रोजाना स्ट्रेचिंग, व्यायाम, मालिश और नॉन इलास्टिक टेप के साथ पैर को स्थिर रखना शामिल है। इसका उद्देश्य पैर को धीरे-धीरे सही स्थिति में ले जाना है। पहले 3 महीनों के लिए इस थेरेपी के सत्र मुख्य रूप से एक शारीरिक चिकित्सक द्वारा लिए जाते हैं। इस समय अधिकांश सुधार हो जाता है। माता-पिता भी इस समय जांच प्राप्त करते हैं, क्योंकि वे घर पर कुछ इलाज कर सकें।
टैपिंग और स्पिलंटिंग तब तक जारी रहती है जब तक कि बच्चा 2 साल का न हो। अगर क्लब फुट (clubfoot in Hindi) एकमात्र समस्या है जिले शिशु के पास है तो इलाज आमतौर पर पुरी तरह से सफल होता है। यहां तक कि समस्या को पूरी तरह से सही किया जा सकता है, लेकिन तब भी पैर की स्थिति और कार्य में काफी सुधार होता है।
3. क्लब फुट के लिए सर्जरी
क्लब फुट के कई मामलों को सफतापूर्वक नॉन सर्जिकल तरीकों से सही किया जा सकता है, लेकिन कुछ मामलों को पूरी तरह से सही नहीं किया जा सकता है या ये लौट आती है, क्योंकि अक्सर माता-पिता को ट्रीटमेंट का कार्यक्रम के बाद इसे जारी रखने से कठिनाई होती है। साथ ही कुछ बच्चों में बहुत गंभीर विकृतियां होती है जो स्ट्रेचिंग जैसे तरीकों से ठीक नहीं हो पाती है।
जब ऐसा हो तो पैर में टखने के टेंडन, लिगामेंट्स और जोड़ों को समायोजित करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। वहीं अधिक आक्रमक सर्जरी के द्वारा पैर में मुलायम ऊतक संरचनाओं को मुक्त किया जाता है। सर्जन इसके बाद पिन और कास्ट का इस्तेमाल करके पैर स्थिर करते हैं। सर्जरी से जरूरत से अधिक सुधार, कठोरता और दर्द हो सकता है। ये बच्चे के बड़े होने के बाद के जीवन में गठिया से जुड़ सकता है।
पोन्सेटि तकनीक क्या होती है? (Ponseti technique in Hindi)
इग्नेसियो वी. पोन्सेटि के नाम पर रखी गई पोंसेटि तकनीक दुनिया भर में क्लब फुट के इलाज के लिए सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक है। इस तकनीक में एक में एक समयावधि में इस विकृति को ठीक करने के लिए सौम्य स्ट्रेचिंग और अनुक्रमिक कास्टिंग के संयोजन का इस्तेमाल किया जाता है।
साथ ही इस तकनीक में बच्चे के पैर को धीरे से स्ट्रेच किया जाता है और उसे स्थि उसे सही स्थिति में जोड़ दिया जाता है और इसे एक कास्ट की सहायता से सही करने का प्रयास किया जाता है। ये प्रक्रिया हर सप्ताह दोहराई जाती है जब तक वांधित परिणाम प्राप्त नहीं होते हैं। इसमें 6 से 8 सप्ताह या उससे अधिक समय भी लग सकता है।
एक बार जब स्ट्रेचिंग और अनुक्रमिक कास्टिंग पूरी हो जाती है, तो सर्जन एक छोटे से प्रोसीजर की सहायता से एच्लीस टेंडन में टाइटनेस को कम कर देता है। अगले स्टेज में एक और छोटा प्रोसीजर किया जाता है जिसे टेनोटॉमी कहा जाता है। इसके बाद 3 सप्ताह के लिए सर्जन टेंडन को सपोर्ट और रक्षा करने के लिए एक कास्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं। एक बार जब टेंडन वापस से एक निश्चित लंबाई तक बढ़ जाता है तब क्लब फुट को पूरी तरह सही माना जाता है।
क्लबफुट को सही करने के लिए कितने प्लास्टर की आवश्यकता होती है?
पोन्सेटि तकनीक में पैर को धीरे से उसकी स्थिति सही करते हुए कास्ट को हर हफ्ते बदल दिया जाता है। हर बार जब प्लास्टर लगाया जाता है, तो पैर को थोड़ा और सही किया जाता है इसलिए, आवश्यक प्लास्टर की संख्या विकृति की गंभीरता पर निर्भर करती है, लेकिन ये आमतौर पर औसतन 4 से 10 कास्ट का इस्तेमाल किया जाता है। बच्चे की उम्र अधिक होने पर ये बढ़ सकता है। अगर विकृति अधिक जटिल है या लंबे समय तक अनुपचारित छोड़ दिया गया हो। ऐसे मामलों में हफ्ते में दो बार कास्टिंग की भी आवश्यकता हो सकती है।
क्लबफुट के इलाज में अनुक्रमिक कास्टिंग के बाद क्या आता है?
एक बार लास्ट कास्टिंग पूरी हो जाने और कास्टिंग हटाने के बाद, बच्चे को मेटल की पट्टी से जुड़े विशेष जूते पहनने की आवश्यकता होगी। इसे डेनिस ब्राउन / मिशेल पोंसेटि स्पिलंट कहा जाता है। ये जूते आमतौर पर 3 महीने तक एक दिन में 23 घंटे के लिए पहनाए जाते हैं। 3 वर्ष की आयु के बाद इन जूतों को बच्चे के सोने के माता-पिता को भी बच्चे की स्ट्रेचिंग जारी रखने की आवश्यकता होती है। क्लब फुट (clubfoot in Hindi) विकृति को ठीक करने में जूतों का उचिक इस्तेमाल जरूरी आवश्यक है।
क्या क्लबफुट के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है?
ऐसे बहुत से मामलों में, क्लबफुट (clubfoot in Hindi) के इलाज के लिए सर्जरी की आवश्यता हो सकती है जैसे –
- पैरों में जकड़न होने की वजह से
- सिंड्रोमिक बच्चों में सेकेंडरी क्लब फुट के कारण
- न्यूरोमस्कुलर विकार वाले बच्चे
- अनुपचारित क्लब फुट
ऐसे सभी मामलों में अगर बच्चे में चलने-फिरने के समय हाइपरएक्टिव टेंडन के लक्षण दिखने हैं तब आमतौर पर टेंडन स्थानांतरण की आवश्यकता होती है। साथ ही क्लब फुट के अन्य सर्जिकल उपचारों में सॉफ्ट टिसुज रिलीस, बाहरी फिक्सर के साथ क्रमिक सुधार, बोन कटिंग सर्जरी या पैर के जोड़ों का संलयन शामिल है।
क्या क्लबफुट के इलाज में कोई जोखिम शामिल हैं?
जब तक सही इलाज प्रोटोकॉल का पालन किया है। इस इलाज की तकनीक में कोई महत्वपूर्ण जोखिम शामिल नहीं है, क्योंकि कुछ मामलों में अगर बच्चों की स्किन अधिक संवेदनशील है या अगर कास्ट का इस्तेमाल उचिक तरीके से नहीं किया जा सकता है तो प्लास्टर स्किन पर घावों की वजह से बन सकता है। इनका आसानी से एंटीबायोटिक्स द्वारा इलाज किया जा सकता है और लगभग एक हफ्ते का कास्टिंग की जाती है।
ये पोन्सेटि तकनीक को सही तरीके से न किया जा सके, तो इसके परिणामस्वरूप रॉकर बॉटम फुट या आईट्रोजेनिक कॉम्प्लेक्स क्लब फुट (clubfoot in Hindi) जैसी समस्या हो सकती है। कास्टिंग के बाद एड़ी की हड्डी को काटने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रक्रिया से रक्तस्त्राव भी हो सकता है, लेकिन ये आसानी से मैनेज हो सकता है।
क्या क्लबफुट के साथ पैदा हुए बच्चे सामान्य जीवन जी सकते हैं?
एक सही इलाज के साथ, इस विकृति के साथ पैदा हुए बच्चे लगभग सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं, वो अच्छे से चल सकते हैं, भाग सकते हैं, खेल सकते हैं और सामान्य जूते पहन सकते हैं। कुछ मामलों में प्रभावित पैर, दूसरे पैर से 1 से 1.5 इंच का छोटा हो सकता है। साथ ही कॉल्स मसल्स भी छोटी हो सकती है, जिससे बच्चे को दर्द या थकान महसूस हो सकता है, लेकिन ये शायद ही कभी किसी महत्वपूर्ण समस्या का कारण बनता है।
क्लबफुट का इलाज कौन करता है?
इस स्थिति का इलाज एक प्रशिक्षित बाल चिकित्सा आर्थोपेडिक सर्जन द्वारा किया जाता है। लंबी अवधि की जटिलताओं से बचने और बच्चे के चलने के समय तक पैर की पूर्ण कार्यक्षमता प्राप्त करने के लिए विस्तार पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। लेकिन फिर भल ही ये प्रक्रिया अपेक्षाकृत सरल और गैर-सर्जिकल हो, लेकिन पैर को सही ढंग से संरेखित करने के लिए सही इलाज की आवश्यकता होती है। अपने शिशु की स्थिति के इलाज के लिए अनुभवी शिशु चिकित्सा आर्थोपेडिक सर्जन चुनें, जो क्लब फुट का इलाज करने में पारंगत है।
अगर आपके बच्चे में गर्भावस्था के समय या जन्म के तुरंत बाद क्लब फुट (clubfoot in Hindi) का पता लगता है, तो सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि तुरंत उपचार शुरू किया जाए। बेहतर परिणाम के लिए होम केयर निर्देशों का पालन करें जैसे कि डॉक्टर द्वारा दिए गे बच्चे के लिए व्यायाम करना आदि।