ग्लूकोमीटर क्या है।
डायबिटीज के सबसे मुख्य साधनों में से एक हो सकता है घर के लिए बनाए गए ब्लड ग्लूकोज मीटर जिसे ग्लूकोमीटर कहा जाता है। यह एक पोर्टेबल डिवाइस है जो मधुमेह मरीजों के ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में सहायता करता है और बदले में ये निर्धारित करने में मदद करता है कि वे कौन-सी खाद्य पदार्थ का उपभोग करना, डायबिटीज मरीजों की देखभाल को आसान बना सकता है। वहीं आजकल की नई टेक्नोलॉजी की मदद से डायबिटीज रोगियों के लिए बेहद आसान हो गया है घर बैठे ग्लूकोज की जांच कर सकते हैं। लेकिन बहुत लोगों को ग्लूकोमीटर से जांच नहीं कर पाते है, इसलिए आज आपको ग्लूकोमीटर का उपयोग कैसे करें आदि के बारे में बात करेंगे।
ग्लूकोमीटर का इस्तेमाल कैसे करें?
- ग्लूकोमीटर का उपयोग करने से पहले यानी ग्लूकोमीटर से अपने ब्लड ग्लूकोज का टेस्ट करने से पहले अपने हाथ साबुन और पानी से अच्छी तरह से साफ करें और उन्हें अच्छे से सुखा लें। फिर टेस्ट से पहले एक साफ कपड़े से डिवाइस को अच्छे से साफ करें। तब टेस्ट के लिए इस्तेमाल होने वाली स्ट्रिप्स को गर्मी और नमी से दूर और सुरक्षित रखें, क्योंकि इससे प्रभावित होकर आपके डिवाइस गलत रीडिंग दिखा सकता है। इगर ग्लूकोमीटर में कोडिंग सिस्टम है, तो सही कोड को खिलाने के लिए सावधान रहें।
- यदि आपके घर में ग्लूकोमीटर है, तो आप अपनी सुविधा के अनुसार दिन या रात में किसी भी समय अपने ब्लड ग्लूकोज लेवल की जांच कर सकते हैं, लेकिन भले ही आपके पास घर पर ग्लूकोमीटर हो या नहीं, आपको टेस्ट की रीडिंग ग्लूकोमीटर से अधिक विश्वसनीय हैं।
- खाना खाने के तुंरत बाद अपने ब्लड ग्लूकोज की जांच ना करें। यदि आपकी उंगलियों पर भोजन के कुछ अंश लगे होंगे और तब ब्लड चेक करेंगे तो ग्लूकोमीटर पर आपको गलत रीडिंग्स देखने मिलेंगी।
- ग्लूकोमीटर खरीदने से पहले अपने डॉक्टर से इस बारे में जरूर बात करें, क्योंकि वे आपको सही और अच्छी गुणवत्ता वाले उपकरण के बारे में बता सके।
डायबिटीज के समय ग्लूकोमीटर जरूरी क्यों हैं?
ग्लूकोमीटर वाकई डायबिटीज में एक जरूरी औजार है। कई मामलों में ये जान बचाने वाला साबित हो सकता है। शरीर में बेहद अधिक या बेहद कम शुगर की मात्रा घातक हो सकती है। साथ ही आपको नियमित समय पर डायबिटीज की जांच करते रहना चाहिए। आपको अक्सर शरीर में ग्लूकोज का लेवल बेहद कम या बेहद अधिक होने तक डायबिटीज का पता नहीं चलता है। तब ऐसे में ग्लूकोमीटर की मदद से आप कुछ हद तक जोखिम को कम और डायबिटीज को बेहतक तरीके से काबू में रख सकते है।
इसके अलावा आपको बता दें कि, आज के ग्लूकोमीटर्स में तारें नहीं होती है और ये आपको तुरंत ब्लड ग्लूकोज के लेवल का अपडेट देते हैं और आप इसे अपने लैपटॉप या स्मार्टवॉच के साथ भी जोड़ सकते हैं। इस सुविधा से आप अपने ब्लड शुगर के घटने या बढ़ने के ट्रेंड को रंगीन ग्राफ यानी रेखाचित्रों और तस्वीरों की शक्ल में देख सकते हैं। ये डाटा आपकी सेहत की पूरी तस्वीर बयां करते हैं। इससे आपको जरूरत के अनुसार, अपनी आदतों को बदलने में सुविधा होगी।
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सही ग्लूकोमीटर कैसे खरीदें?
- ध्यान रखें कि, ग्लूकोमीटर के डिसप्ले को आसानी से पढ़ा जा सके। बेहद हाइटेक और इस्तेमाल में पेंचीदा ग्लूकोमीटर खरीदने से बचें।
- ग्लूकोमीटर में बैकलाइट यानी स्क्रीन पर रोशनी की सुविधा होनी चाहिए। इसे रात के वक्त इस्तेमाल करने में सहायता मिले। यदि आपकी नजर कमजोर है तो ऐसे में “वॉइस रीडआउट फीचर” वाले ग्लूकोमीटर भी उपलब्ध है, जिससे आप चांज के नतीजें को सुन भी सकते हैं।
- डिस्क या स्ट्रिप के साथ मिलने वाले ग्लूकोमीटर्स का इस्तेमाल आसान होते हैं।
- ऐसे ग्लूकोमीटर से बचें जिनमें टेस्ट स्ट्रिप बदलने के लिए हर बार कोड या पासवर्ड की जरूरत होती है। ये बेवजह की परेशानी साबित हो सकती है। खासकर ऐमरजनसी के वक्त।
- ध्यान रहे कि, ग्लूकोमीटर में नतीजे कैसे सेव होते हैं और कितनी आसानी से डाउनलोड किए जा सकते हैं। कुछ ऐसे भी ग्लूकोमीटर्स में टेस्ट के नतीजे खुद ही डाउनलोड होकर डॉक्टर के मेलबॉक्स में पहुंच जाते हैं और ये बेहद बेहतर विकल्प होता है।
ग्लूकोमीटर का कितनी बार इस्तेमाल कर सकते हैं?
ग्लूकोमीटर का इस्तेमाक करने अपने डायबिटीज क प्रकार पर निर्भर करता है। ये आमतौर पर टाइप-1 डायबिटीज में टाइप-2 के मुकाबले ब्लड शुगर के लेवल अधिक अस्थिर रहता है। लिहाजा टाइप-1 के मामलों में ग्लूकोमीटर की अधिक जरूरत पड़ती है। टाइप-1 में इंसुलिन की डोज को तय करने के लिए दिन में तीन या चार बार टेस्ट करना होता है। टाइप-2 में ये मियाद केस पर निर्भर करता है कि ग्लूकोमीटर का इस्तेमाल दिन में 1 या 2 बार से लेकर हफ्ते में 1 या 2 तक करना पड़ता है।
साथ ही ग्लूकोमीटर से और भी बेशकीमती जानकारी मिलती है। भूखे पेट किया गया टेस्ट बताएगा कि क्या रात को दवाईयों की मात्रा सही थी। वहीं इस तरह के नाश्ते या लंच के बाद की रीडिंग से पता चलेगा कि, क्या सुबह की डोज काफी थी।
जानिए कैसे रखे ग्लूकोमीटर का ध्यान?
- ग्लूकोमीटर की सफाई का ध्यान रखें। नमी से बचाने के लिए ग्लूकोमीटर के केस को चढाए रखें।
- ग्लूकोमीटर को बीच-बीच में कैलिब्रेट यानी उसकी जांच करते रहें। रीड़िंग को सटीक बनाए रखने के लिए इसकी आदत डाल लें।
- सबसे जरूरी बात औप स्ट्रिप के डिब्बे को हमेशा बंद रखें। नमी इन स्ट्रिप्स को बेकार कर देती है।