अल्जाइमर रोग क्या होता है? – What is Alzheimers disease?
अल्जाइमर (Alzheimers) की बीमारी काफी तेजी से फैलने वाली बीमारी है, जिसमें याद्दश्त और अन्य महत्वपूर्ण मानसिक कार्यों को हानी पहुंचाता है। ये डिमेंशिया यानी की मनोभ्रंश का सबसे आम कारण होता है जिससे हमारी बौद्धिक क्षमता बेहद कम हो जाती है। ये परिवर्तन हमारे दिन-प्रतिदिन के जीवन के लिए खराब साबित हो सकता है।
साथ ही अल्जाइमर डिजीज में मस्तिष्क की कोशिकाएं खुद ही बनती और खत्म होने लगती है, जिससे याद्दाश्त और मानसिक कार्यों में लगातार नीचे आने लगता है। आज के समय में उपलब्ध अल्जाइमर रोग की दवाएं और इसको मैनेज करने के आधुनिक तरीके अस्थायी रूप से इसके लक्षणों में सुधार कर सकते हैं। कई बार अल्जाइमर रोग से पीड़ित व्यक्तियं की दिमागी कार्यों की क्षमता को बढ़ाने और उनको आजाद बनाए रखने में सहायता करता है। वैसे अल्जाइमर डिजीज का कोई उपचार मौजूद नहीं है, इसलिए जरूरी है कि आप इससे जुड़ो जो भी सेवाएं उसे जरूर अपनाए।
अल्जाइमर और डिमेंशिया में क्या अंतर है?
अल्जाइमर और डिमेंशिया शब्द कभी-कभी एक दूसरे के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, क्योंकि ये दोनों स्थितियां समान नहीं है। अल्जाइमर एक प्रकार का डिमेंशिया है। जिसमें भूलना और भ्रम जैसे स्मृति हानि से संबंधित लक्षणों के साथ डिमेंशिया एक व्यापक शब्द है। डिमेंशिया में अल्जाइमर रोग, पार्किंसंस डिजीज और अन्य जैसे अधिक विशिष्ट स्थितियां शामिल होती है। इन बीमारियों के कारण, लक्षण और ट्रीटमेंट अलग-अलग हो सकते हैं। तो आइए अब डिमेंशिया और अल्जाइमर डिजीज के बारे में (Alzheimer rog in hindi) अच्छे से पढ़ते हैं।
अल्जाइमर डिजीज के लक्षण – symptoms of alzheimers disease
- जब किसी व्यक्ति को अल्जाइमर रोग होता है तो वे किसी भी काम को करते समय सही तरीके से खुद पर बैलेंस नहीं बना पाता है।
- जब किसी व्यक्ति को अल्जाइमर की समस्या होती है तो वे मल्टीटास्किंग होने में असमर्थ महसूस कर सकते है।
- अल्जाइमर के मरीज की मांसपेशियां टाइट महसूस होने लगती है।
- कुछ व्यक्ति को बार-बार पेशाब आने की समस्या होती है। इसमें व्यक्ति को दिन या रात किसी भी यूरिन आने की समस्या महसूस होने लगती है।
- ऐसे व्यक्ति को चलते समय पैरों में खिंचाव महसूस होने लगता है।
- अल्जाइमर मरीजों को नींद ना आने की समस्या हो सकती है।
- जिस व्यक्ति को अल्जाइमर होता है तब उसको दिमागी दौरे भी पड़ सकते हैं।
- जिसे अल्जाइमर की समस्या होती है उसे खड़े या बैठने में भी परेशानियां आने लगती है।
- अल्जाइमर रोगी ब्रश करने, हाथ पैर धोने या कपड़े बदलने में दिक्कत महसूस कर सकता है।
- अल्जाइमर के मरीजों कोई भी मूमेंट करने में डर महसूस होता है।
शुरूआती लक्षण
- दिनांक और समस का ट्रैक खोना
- वस्तुओं का गलत स्थान
- निर्णय लेने में मुश्किलें आना
- दैनिक कार्यों को समय पर पूरा करने में असमर्थता।
- सामाजिक आयोजनों से बचना
- किसी से बात करने में समस्या
- स्मृति समस्याएं आपके दैनिक जीवन को अस्त-व्यस्त कर रहे हैं
मध्यम लक्षण
- बिना वजह गुस्सा आना
- मित्रों और परिवार के सदस्यों को पहचानने में समस्या होना
- पढ़ने और लिखने में कठिनाई
- नए कार्यों को सीखने और समझने में असमर्थ
- व्यवहार के लक्षणों का अनुभव करना जैसे कि, रोना, चिंता, घूमना, बेचैनी आदि।
गंभीर संकेत
- मूत्राश्य (urinary bladder) और आंत्र नियंत्रण की कमी
- वजन घटना
- दौरे पड़ना
- स्किन के इंफेक्शन
- कुछ भी निगलने में कठिनाई
- कराहना, आहें भरना या घुरघुराना
अल्जाइमर डिजीज के कारण – Causes of alzheimers disease
एक शोध से अनुसार, अल्जाइमर डिजीज के सटीक कारणों को अब तक पूरी तरह से समझाया नहीं जा सकता है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि दिमाग में कुछ प्रकार के प्रोटीन के सामान्य रूप से कार्य करने में विफल रहने की वजह से लोगों के ये समस्या हो सकती है। अल्जाइमर डिजीज आनुवंशिक, लाइफस्टाइल और पर्यावरणीय कारकों की वजह से भी हो सकता है। अगर आपके परिवार में या आसपास के किसी में कुछ असामान् रूर से याद्दाश्त या मानसिक स्वास्थ्य की समस्या दिखे तो इस बारे में डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।
अल्जाइमर डिजीज का निदान – Alzheimers disease diagnosis
इसमें स्मृति और सोच कौशल का आकलन करने के लिए डॉक्टर द्वारा विभिन्न प्रयोगशाला जांच और इमेजिंग जांच किए जाते हैं, जो इस प्रकार है।
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- शारीरिक और न्यूरोलॉजिकल जांच – जहां डॉक्टर सजगता, मांसपेशियों की ताकत, मांसपेशियों की टोन, चलने की क्षमता, चाल, दृष्टि और सुनने की क्षमता, संतुलन और समन्वय की जांच करेगें।
- ब्लड टेस्ट – थायरॉइड विकार, विटामिन की कमी जैसे डेमिंशिया के अन्य कारणों का पता लगाने के लिए।
- मानसिक और न्यूरोसाइकोलॉजिकल जांच – ये उपचार शुरू करने और लक्षणों की प्रगति का आकलन करने में मदद करता है।
- मानसिक और न्यूरोसाइकोलॉजिकल जांच – ये उपचार शुरू करने और लक्षणों की प्रगति का आकलन करने में सहायता करते हैं।
- ब्रेन इमेजिंग – इनमें एमआरआई, सीटी, पीईटी स्कैन आदि जैसे जांच शामिल है, जिसमें स्ट्रोक, आघात, ट्यूमर आदि जैसी स्थितियों की पहचान करने के लिए मस्तिष्क की छवियों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
अल्जाइमर से बचने के लिए करें रोकथाम
बता दें कि, इस डिजीज की रोकथाम के लिए कोई निश्चित प्रभावी उपाय नहीं है, जो कि रोग से बचने में सहायता कर सकें। लेकिन इस डिजीज से बचने के लिए कुछ निश्चित स्टेज है, जिन्हें अपनाया जा सकता हैं और डिमेंशिया की देरी से शुरूआत होने में मदद करता है। साथ ही इन उपायों के माध्यम से रोगी मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकता है।
- पढ़ना शुरू करें
- मजे के लिए लिखें
- संगीन सुने या वाघयंत्र बजाना
- प्रौढ़ शिक्षा पाठ्यक्रमों में भाग लेना
- खेल खेलना
- धूमना फिरना
- कोई मनोरंजक गतिविधियों में भाग लें
अल्जाइमर में कैसे करें बचाव?
अल्जाइमर को एक लाइलाज बीमारी माना जाता है, जिसमें आप रिक्स फैक्टर में आते हैं और आप बचाव के लिए नीचे दी हुई टिप्स को अपना सकते हैं।
- अपने वजन को कंट्रोल करें, पौष्टिक भोजन लें, अच्छी मात्रा में ताजे फल और सब्जियों का सेवन करें।
- रोजाना व्यायाम करें।
- मानसिक रूप से ठीक रहें, कुछ नया सीखें और नए शौक बनाए।
- उचित कदम लेकर दिल की समस्या की संभावना कम करें।
- मेल-जोल बढ़ाए, दोस्त बनाएं और खुश रहें।
- मेडिटेरेनियम आहार (जैसे मछली, जैतून का तेल, अच्छी मात्रा में हरी ,सब्जिया) लेने से अल्जाइमर के लक्षणों को कंट्रोल करता है।
- हल्दी में मिलने वाले करक्यूमिन को नैनोतकनीक से नैनो-पार्टिकल में एनकैप्सूलेट कर अल्जाइमर का प्रभावी तरीके से इलाज करने में सहायता करता है।
- 40 की उम्र पार करने के बाद अपने भोजन में बादाम, टमाटर, मछली आदि को जरूर शामिल करना चाहिए।
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