क्या है कोलोरेक्टल कैंसर? (What is colorectal cancer?)
कोलोरेक्टल कैंसर (colorectal cancer in hindi) को कोलन कैंसर (आंत का कैंसर) या बाउल कैंसर (मलाशय कैंसर) के नाम से भी जाना जाता है। मलाशय कैंसर मलाशय में उत्पन्न होता है, जो गुदा के नुकटतम बड़ी आंत का हिस्सा होता है। इसे लेकर WHO का कहना है कि, फेफड़ों के कैंसर के बाद दुनियाभर में होने वाला ये दूसरा सबसे आम कैंसर है। बता दें कि, कोलोरेक्टल कैंसर के बहुत से मामले अडेनोमाटेस पॉलिप्स नामक कोशिकाओं के छोटे, कैंसर मुक्त गुच्छों के रूप में शुरू होता है। समय बढ़ने के साथ-साथ कुछ पॉलिप्स कोलोरेक्टल कैंसर बनने लगते हैं।
ये पॉलिप्स अक्सर छोटे होते हैं और उनके होने की वजह दिखाई नहीं देते हैं, इसलिए डॉक्टर नियमित रूप से स्क्रीनिंग टेस्ट कराने का सुझाव देते हैं। ये टेस्ट कोलन कैंसर बनने से पहले पॉलिप्स की पहचान कर लेते हैं और कोलोरेक्टल कैंसर (colorectal cancer in hindi) को रोकने में सहायता करता है।
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कोलोरेक्टल कैंसर होने के क्या कारण है? (What causes colorectal cancer in Hindi?)
1. वृद्धावस्था
बढ़ती उम्र यानी वृद्धावस्था में अधिक मांस मछली खाना या अधिक तेल मसाला खाने से कोलन कैंसर का खतरा अधिक बढ़ जाता है।
2. अनुवांशिकता
कोलोरेक्टस कैंसर का पारिवारिक इतिहास भी कैंसर का खतरा पैदा करता है, यदि आपके परिवार में पहले कोई कोलन कैंसर का शिकार हो चुका है तो आपको भी ये बीमारी आसानी से लग सकती है।
3. धूम्रपान और शराब अधिक मात्रा लेना
डायबिटीज, धूम्रपान और शराब का सेवन करने से भी कोलन कैंसर होने का खतरा (colorectal cancer in hindi) अधिक बढ़ता है, क्योंकि इनमें अधिक जहरीले पदार्थ पाए जाते हैं जो कोलन को नुकसान पंहुचाते हैं।
कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण (Symptoms of colorectal cancer in Hindi)
कोलोरेक्टल कैंसर किसी भी विशेष लक्षण को प्रकट नहीं करता है। अगर आप कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षणों का अनुभव करते हैं, तो इनमें शामिल हो (कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण) सकते हैं –
- बार-बार शौचालय जाना
- दस्त या कब्ज लगना
- मल त्यागने के बाद भी दोबारा शौचालय जाने का अहसास होना
- पेट दर्द होना
- मल में रक्त आना
- पेट फूला हुआ महसूस होना
- मतली या उल्टी होना
- थकावट रहना
- अचनाक वजन का बढ़ना
- डॉक्टर द्वारा आपके पेट में या पिछले हिस्से में एक गांठ महसूस करना।
- रजोनिवृत्ति (menopause) के बाद महिलाओं में आयरन की अधिक कमी होना।
कोलोरेक्टल कैंसर का इलाज (Colorectal cancer treatment in Hindi)
1. सर्जरी (surgery)
सर्जरी शुरुआती स्टेज के कोलोरेक्टल कैंसर के लिए अक्सर मुख्य इलाज होता है। सर्जरी का प्रकार कैंसर के चरम पर निर्भर करता है, जहां ये कोलन में होता है और सर्जरी का लक्ष्य इसे ठीक करना होता है। किसी भी प्रकार की कोलन सर्जरी (कोलोरेक्टल कैंसर सर्जरी) को साफ और खाली कोलन पर करने की जरूरत होती है। इसमें सर्जरी से पहले आपको एक विशेष आहार पर रखा जाता है और आपके कोलन से सभी मल को बाहर निकालने के लिए रोचक पेय का उपयोग करने की जरूरत पड़ती है।
2. एब्लेशन और एम्बोलिज़ेशन (Ablation and Embolization)
इसमें जब कोलन या मलाशय का कैंसर फैल (colorectal cancer in hindi) गया हो और लीवर या फेफड़ों में कुछ छोटे ट्यूमर हो, तो इन मेटास्टेस को कभी-कभी सर्जरी द्वारा हटाया जा सकता है या अन्य तकनीकों जैसे कि एब्लेशन या एम्बोलिजेशन द्वारा नष्ट किया जा सकता है। तब बॉडी में अन्य स्थानों पर छोटे ट्यूमर को नष्ट करने के लिए एब्लेशन या एम्बोलिजेशन का इस्तेमाल करते हैं।
3. कीमोथेरेपी (कीमोथेरेपी)
कीमोथेपेरी कैंसर रोधी दवाओं के साथ इलाज है जिसे नस में इंजेक्ट किया जाता है या मुंह से लिया जाता है। ये दवाएं रक्त प्रवाह के माध्यम से यात्रा करती है और शरीर के बहुत से हिस्सों तक पहुंचती है। साथ ही कीमो का इस्तेमाल अक्सर कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज (colorectal cancer in hindi) के लिए किया जाता है।
4. रेडिएशन थेरेपी (radiation therapy)
रेडियेशन थेरेपी कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए एक्स-रे या कणों का इस्तेमाल करके एक इलाज है। ये कुछ कोलन और रेक्टर कैंसर के लिए एक ही समय में कीमोथेरेपी से इलाज करने से रेडियेशन चिकित्सा बेहतर काम करती है। इन दोनों इलाजों का एक साथ इस्तेमाल करने के कीमोराजिएशन कहा जाता है।
5. इम्यूनोथेरेपी (immunotherapy)
इस थेरेपी में एक व्यक्ति की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं को बेहतर ढंग से पहचानने और नष्ट करने में सहायता करने के लिए दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। ऐडवांस कोलोरेक्टल कैंसर वाले कुछ मरीजों के इलाज के लिए इम्यूनोथेरेपी का इस्तेमाल करते हैं।
6. कोलोरेक्टल कैंसर दवाएं (colorectal cancer drugs)
ऐसी बहुत सी दवाएं है जो कोलोरेक्टल कैंसर के ट्रीटमेंट (colorectal cancer in hindi) के लिए इस्तेमला की जाती है और अमेरिका के फूड और ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेटर ने कई दवाओं को मंजूरी दी है।
कोलोरेक्टल कैंसर का उपचार (Treatment of colorectal cancer in Hindi)
यहा प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह (कोलोरेक्टल कैंसर के उपचार) के रूप में न लें और अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
1. अदरक (Ginger)
एक शोध के अनुसरा अदरक सूजन जैसी परेशानी दवा से अधिक प्रभावित होता है, इसलिए डेली डाइट में आप अदरक को शामिल करके कैंसर कोशिकाओं को विकास को रोक सकते हैं।
2. हल्दी (Turmeric)
हल्दी में पाए जाने वाले कर्क्यूमिन यौगिक कैंसर से बचाने वाला होता है, कई शोध ये बताते हैं कि हल्दी के सेवन से कैंसर की संभावना को कम किया जा सकता है जो हल्दी का सेवन शरीर में सूजन की समस्या को भी कम करता है।
3. मिर्च का कैपेसिसिन यौगिक (capsaicin compound of chili)
कैंसर से बचने के लिए मिर्च वाले यौगिक फायदेमंद होते हैं और कोलन कैंसर से बचने में लिए शिमला मिर्च, काली मिर्च और हरी मिर्च का सेवन लाभदायक (कोलोरेक्टल कैंसर के उपचार) होता है, मिर्च में पाया जाने वाला कैपेसिसिन यौगिक उन अवयवों को रोकता है जो कोलोरेक्टल कैंसर (colorectal cancer in hindi) का कारण बनता है।
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डिस्कलेमर (Disclaimer)
इस लेख में दी गई बीमारी से जुड़ी सभी जानकारियां केवल सूचनात्मक है। अगर आपको को इस बीमारी के कुछ संकेत नजर आ रहे हैं तो अपनी जांच करवाएं और उन्हीं के अनुसार अपना जीवनशैली और आहार का खास ध्यान रखना हैं।
FAQ:
Q.1 कैंसर कितने दिन में फैलता है?
वैसे ये मरीज की कंडीशन पर निर्भर होता है, लेकिन स्टेज तीन में कैंसर के आस-पास के ऊतकों में फैल जाने की बात सामने आती है। स्टेज चार में कैंसर शरीर के अन्य भागों में भी फैल चुका होता है और इसे उन्नत कैंसर भी कहा जाता है।
Q.2 क्या कोलोनोस्कोपी दर्दनाक है?
कोलोनोस्कोपी को बेहोश करने की क्रिया में किया जाता है और बहुत से मरीजों की जांच सहनीय पाते हैं, लेकिन हम इसे किसी मरीज के इच्छा पर भारी बेहोश करने की क्रिया के द्वारा भी कर सकते हैं और यह पेनफ्री होता है।
Q.3 क्या है गुदाद्वार कैंसर के लक्षण?
गुदाद्वार कैंसर के लक्षण कुछ इस प्रकार है जैसे – आंतों में बदलाव आना, दस्त या कब्ज, बिना किसी वजह के वजन कम होना, आपके मल में रक्त आना, पेट दर्द या ऐंठन, मतली या उल्टी होना, थकान महसूस होना, भूख न लगना, मल त्याग की जगह से खून बहना और लगातार सुस्ती और पीलिया होना आदि है।
Q.4 क्या है पेट के कैंसर के प्रारंभिक संकेत?
चेतावनी – पेट के कैंसर प्रारंभिक संकेत कुछ इस प्रकार है जैसे – अपच, पेट में जलन और पेट फूलना, शरीर में लगातार कमजोरी या थकान महसूस होना, भूख न लगना, वजन कम होना, हीमोग्लोबिन में कमी, पेट दर्द या बैचेनी, मल में लाल खून का धब्बा या काले रंग का मल, थोड़ी मात्रा में भोजन करने के बाद पेट भरा हुआ महसूस होना।
Q.5 छोटी आंत का कैंसर में नजर आने वाले लक्षण
अगर आपको निम्नलिखित में से कोई भी लक्षण दिखाई दें, तो आपको अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। क्योंकि छोटी आंत का कैंसर या किसी और रोग का कारण बन हो सकता है जैसे – आपने पेट के बीच में दर्द या ऐंठन, बिना किसी वजह के वजन कम होना,पेट में गांठ का बनना और मल में खून की मात्रा आदि शामिल है।
Q.6 कैंसर की लास्ट स्टेज के लक्षण
कैंसर की लास्ट पर पहुंचने का अर्थ है कि, कैंसर किसी भी तरह के इलाज के बावजूद ठीक नहीं हुआ है। ये बहुत दुखदायी स्थिति होती है और जब रोगी कैंसर की लास्ट स्टेज पर पहुंच जाता है तो शरीर में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं जैसे – हमेशा थकान महसूस होना और कोई ना करपाना, भूख न लगना, कन्फ्यूजन की स्थिति और दर्द आदि।