क्या है प्रोसोपैग्नोसियाइस, जाने कारण, लक्षण और इसका इलाज?
2003 में रिलीस हुई फिल्म “इश्क विश्क से चर्चा में आई एक्ट्रेस शहनाज ट्रेजरीवाला गंभीर बीमारी से पीड़ित हुई है। जी हां, एक्ट्रेस प्रोसोपैग्नोसिया (Prosopagnosia) नाम की बीमारी से जूझ रही है। इस बात बात खुलासा खुद एक्ट्रेस शहनाज ट्रेजरीवाला ने इंस्ट्राग्राम पर किया है और अपनी स्टोरी में लिखा है कि, मैं चेहरे क्यों नहीं पहचान पाती। ये एक संज्ञानात्मक विकार है। मुझे हमेशा शर्म आती है कि, मैं चेहरे पहचान नहीं पाती, लेकिन मैं आवाजों को पहचानती हूं। शहनाज ने ये भी कहा कि, इसे फेस ब्लाइंडनेस भी कहते हैं।
चलिए आज हमें अपने इस आर्टिकल में प्रोसोपैग्नोसिया के बारे में जानते हैं, आखिर क्या है प्रोसोपैग्नोसिया, इसके कारण, लक्षण और इलाज।
क्या है प्रोसोपैग्नोसिया? (What is Prosopagnosia?)
प्रोसोपैग्नोसिया एक तरह की मानसिक समस्या है और इससे पीड़ित व्यक्ति लोगों की पहचान करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति को अनजान या ज्ञात चेहरों को याद रखने की क्षमता नहीं होती है। ऐसे में कई बार सामने वाले व्यक्ति को लगता हैं कि वे उसे इग्नोर कर रहा है या फिर जानकर ऐसा कर रहा है। ये काफी दुर्लभ स्थिति है। इस तरह की समस्या लगभग दो प्रतिसत लोगों में देखी गई है।
प्रोसोपैग्नोसिया के कारण (Prosopagnosia Causes)
मस्तिष्क के फ्लूजीफॉर्म गाइरस (flutiform gyrus) हिस्से में किसी तरह की समस्या, क्षति या फिर चोट लगने के कारण से प्रोसोपैग्नोसिया होने का खतरा रहता है। इस तरह की समस्या में टेम्पोरल लोब का एक हिस्सा प्रभावित होता है। मस्तिष्क के इस हिस्से का इस्तेमाल फेस को याद करने के लिए किया जाता है। लेकिन ध्यान रखें कि, ये स्थिति मेमोरी लॉस, ब्लाइंडमेड या किसी अन्य विकलांगता की वजह से नहीं होता है।
प्रोसोपैग्नोसिया के लक्षण (Prosopagnosia Symptoms)
प्रोसोपैग्नोसिया यानी की फेस ब्लाइंडनेस का सबसे आम संकेत विभिन्न चेहरों के बीच अंतर न कर पाना होता है। इस स्थिति में व्यक्तिगत और पेशेवर, दोनों तरह के संबंधों पर बुरा असर पड़ता है। जिन लोगों में प्रोसोपैग्नोसिया के हल्के लक्षण होते हैं उनके लिए अजनी लोगों के फेस में भेद कर पाना अथवा उन्हें पहचान पाना मुश्किल होता है।
साथ ही वहीं जिन लोगों को मॉडरेड प्रोसोपैग्रोसिया की शिकायत होती है। वे उन लोगों के भी चेहरे नहीं पहचान पाते हैं जिनको वे नियमित रूप से देखते हैं, जैसे परिवार के सदस्य और करीबबी दोस्त आदि। इसके अलावा जिन लोगों को हाई लेवल के प्रोसोपैग्नोसिया की शिकायत होती है उनके लिए खुद का फेस पहचान पाना मुश्किल हो जाता है। ये स्थिति व्यक्ति के लिए कई प्रकार स चिंता और अवसाद का कारण भी बनती है।
1. जिन लोगों को फेस ब्लाइंडनेस की शिकायत हो उनमें निम्न प्रकार के लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
2. परिवार के लोगों, करीबी रिश्तेदारों या दोस्तों को न पहचान पाना
3. सार्वजनिक स्थानों पर जाने से हिचक होना
4. फिल्मों या टीवी शो में किरदारों को पहचान पाने में कठिनाई
5. दोस्त बनाने में दिक्कत होना
6. बाहर जाने से बचना, घर पर ही अधिक समय व्यतीत करना
प्रोसोपैग्नोसिया का इलाज (Prosopagnosia Treatment)
फेस ब्लाइंडनेस का कोई इलाज नहीं है। विभिन्न प्रकार की थेरेपी और इलाज की प्रक्रियाओं के इस्तेमाल में लाकर मरीज के फेस को पहचानने की क्षमता को विकसित करना बहुत जरूरी होता है। जैसे उदाहरण के लिए- चिकित्सक कई प्रकार की तस्वीरों और ध्वनियों की सहायता से चीजों की पहचान कराने में मरीज की सहायता करता है। विशेष लोगों की पहचान करने के लिए उसकी शारीरिक विशेषताओं जैसे घुंघराले सुनहरे बाल, औसत से छोटा कद या किसी व्यक्ति की आवाज पर ध्यान केंद्रित कराया जा सकता है। इन साइन के द्वारा मरीज के लिए लोगों की पहचान कर पाना अपेक्षाकृत आसान हो जाता है।
बता दें कि, इस समस्या के इलाज की ये विधियां मरीज की स्थिति को थोड़ी बेहतर जरूर कर सकती है, लेकिन इसका प्रभाव एक व्यक्ति से दूसरे में भिन्न हो सकता है। फेस ब्लाइंडनेस के विशिष्ट कारणों को समझने और उनके इलाज की विधियों का पता लगाने पर रिसर्च चल रही है।
प्रोसोपैग्नोसिया का निदान (Prosopagnosia Diagnosis)
प्रोसोपैग्नोसिया के निदान के लिए डॉक्टर कई प्रकार की जांच के इस्तेमाल में ले सकते हैं। जिन लोगों को इस तरह की समस्या हो उन्हें न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए। न्यूरोलॉजिस्टस, फेस की पहचानने की क्षमता का मूल्यांकन करके आपकी स्थिति को जानने की कोशिश करते हैं। मूल्यांकन के लिए इन उपायों के प्रयोग में लाया जाता है।
- परिवार के लोगों और कुछ अनजाने लोगों की तस्वीरें दिखाकर पहचानने की क्षमता का मूल्यांकन
- चेहरे के सेट से भावनात्मक संकेतों का पता लगाना
- चेहरे के सेट से उम्र या लिंग जैसी जानकारी का आकलन करना आदि।
इसके अलावा जि दो जांचों को प्रोसोपैग्नोसिया के निदान में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। वो है- बेंटन फेशियल रिकॉग्निशन टेस्ट और वैरिंगटन रिकॉग्नाइज मेमोरी ऑफ फेसेस। वैसे तो, इनके परिणाम कितने विश्वसनीय है, इसपर अब भी शोध किया जा रहा है। इस मामले में डॉक्टर की राय लेना आवश्यक है।
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डिस्कलेमर (Disclaimer)
इस लेख में दी गई बीमारी से जुड़ी सभी जानकारियां केवल सूचनात्मक है। अगर आपको को इस बीमारी के कुछ संकेत नजर आ रहे हैं तो अपनी जांच करवाएं और उन्हीं के अनुसार अपना जीवनशैली और आहार का खास ध्यान रखना हैं।