COVID-19 से लड़ने के लिए वेंटीलेटर महत्वपूर्ण क्यों है?
पिछले 2 सालों से पुरी दुनिया कोरोना वायरस (COVID) से जूझ रही है और मरीजों की जान बचाने के लिए अधिक से अधिक वेंटिलेटर (Ventilator) की मांग बढ़ती जा रही है। वेंटिलेटर मरीजों की जान बचाने और वायरल से लड़ने के लिए एक योद्धा की तरह ही मदद करता है। साथ ही कोरोना वायरस जैसी महामारी से लड़ने के लिए वेंटिलेटर एक बेहद महत्वपूर्ण चीज हैं।
बता दें कि, कोरोना वायरस में इंफेक्शन के गंभीर मामलों में यह वायरस फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। हर व्यक्ति के फेफड़े शरीर में वो जगह है जहां से ऑक्सीजन हमारी बॉडी में पहुंचना शुरू होती है और कार्बन डाईऑक्साइड हमारी बॉडी से बाहर निकलती है। साथ ही अगर ये वायरस आपके मुंह से होते हुए आपकी सांस नली में प्रवेश करता है और फिर आपके फेफड़ों तक पहुंचता है तो आपके फेफड़ो में छोटे-छोटे एयरसैक बना देता है।
वहीं कोरोना द्वारा बनाए छोटे-छोटे एयरसैक में पानी जमा होने लगता है, जिसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ होने लगती है और आप लंबी सांस नहीं ले पाते हैं। इस स्टेज पर आकर रोगी को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। तब ऐसे में वेंटिलेटर फेफड़ों में ऑक्सीजन पहुंचाता है, क्योंकि वेंटिलेटर में ह्यूमिडीफायर भी होता है जो हवा में गर्माहट और नमी शामिल करता है और उससे रोगी के शरीर का तापमान नॉर्मल बना रहता है।
वेंटिलेटर कैसे काम करता है?
जब जिंदगी मौत से जूझने लगे और बचने का कोई आसार ना नज़र आए। तब मरीज को जरूरत पड़ती है वेंटिलेटर की। वो मशीन जो मुर्दों को भी जिंदा रखती है, उखड़ती सांसों को थाम लेती है। खासकर कोरोना के ऐसे वक्त में जब ये वायरस फेफड़ों पर हमला करके सांसे रोक रहा है तब तो वेंटिलेटर की जरूरत पहले से भी कहीं अधिक बढ़ गई है। लेकिन कैसे काम करता है ये जानना भी बेहद जरूरी है।
आपको बता दें कि, वेंटिलेटर एक प्रकार की मशीन है जो ऑक्सीजन सिलेंडर से जुड़ी होती है और मरीजों को सांस लेने में मदद करती है। इसमें एक ट्यूब होती है जो इसे रोगी के मुंह, गले या नाक में लगाकर फेफड़ों की नली में उतारा जाता है, जिससे वो सही तरीके से सांस ले पाएं। वेंटिलेटर की मदद से उसके फेंफड़ों में ऑक्सीजन भेजी जाती है। वेंटिलेटर ऑक्सीजन के फ्लो को मोनिटर करने का भी काम करती है। इसकी नली या तो सीधे नाक या मुंह के जरिए हमारी शरीर में उतारी जाती है, लेकिन कभी-कभी इसे लगाने के लिए गले पर हल्का सा कट या फिर सर्जरी भी करनी पड़ती है।
वेंटिलेटर किसे कहते हैं?
वेंटिलेटर एक ऐसी मशीन है, जो रोगी को सांस लेने में मदद करती है। इसके लिए मुंह, नाक या गले में एक छोटे से कट के माध्यम से एक ट्यूब श्वास नली में डाली जाती है। इसे मैकेनिकल वेंटिलेशन के नाम से भी जाना जाता है। ये एक जीवन सहायता उपचार है। मैकेनिकल वेंटिलेशन की जरूरत तब पड़ती है जब कोई बीमारी व्यक्ति प्राकृतिक तरीके से अपने आप सांस लेने में सक्षम नहीं होता है। इस मशीनों का इस्तेमाल मुख्य रूप से अस्पतालों में किया जाता है। वेंटिलेटर मशीन कुछ इस प्रकार के कार्य करते है जैसे –
फेफड़ों में ऑक्सीजन भेजना
बॉडी से कार्बन डाइऑक्साइड निकालना
लोगों को आसानी से सांस लेने में मदद करना
ऐसे लोगों के लिए सांस लेना संभव बनाना, जिन्हें खुद से सांस लेने की क्षमता खो दी है।
एक वेंटिलेटर अक्सर कुछ समय के लिए इस्तेमाल किया जाता है जैसे सर्जरी के दौरान जब आपको जनरल एनेस्थीसिया दिया गया हो।
मुख्यतौर पर वेंटिलेटर का इस्तेमाल फेफड़ों की गंभीर बीमारी या कोई सांस की दिक्कतों के लिए भी किया जाता है, जो सामान्य तरीके से सांस लेने की क्षमता को प्रभावित करती है। लेकिन कुछ लोगों को लंबे समय तक या अपने पूरे शेष जीवन के लिए वेंटिलेटर का प्रयोग करने की आवश्यकता हो सकती है। इन मामलों में मशीनों का इस्तेमाल अस्पताल के बाहर लंबी अवधि के देखभाल में या घर पर किया जा सकता है, लेकिन वेंटिलेटर से किसी भी प्रकार की बीमारी का इलाज संभव नहीं है बल्कि इसका इस्तेमाल केवल रोगी को सांस लेने में सहायता के लिए किया जा सकता है।
ICU क्या होता है?
ICU को हिन्दी भाषा में गहन चिकित्सा केंद्र के नाम से जाना जाता है। जब किसी मरीज की गंभीर बीमारी या गभींर चोट आ जाती है तब रोगी के इलाज के लिए ICU रूम में लेकर जाना पड़ता है, जिससे वहां रोगी की गंभीर परिस्थिति का इलाज किया जा सके। ICU रूम में डॉक्टर द्वारा तभी रिफर किया जाता है जब एक सामान्य तरीके से स्थिति काबू ना आ पाएं।
बता दें कि, ICU एक प्रकार का रूम होता है जहां हाई लेवल की मेडिकल मशीने मौजूद होती है और इस रूम में मरीजों के इलाज के लिए सबसे बड़े और ज्ञानी डॉक्टरों की टीम होती है। जिन्हें इस मशीनों द्वारा बीमारी को ठीक करने का एक अच्छा अनुभव हो। साथ ही जब किसी व्यक्ति की हालत बेहद नाजूक हो जाती है तब मरीज के शरीर के सभी अंग सामान्य रूप से कार्य नहीं कर पाती है। उस समय डॉक्टर मरीज को ICU रूम में भर्ती करके सभी अंगों को सही ढंग से कार्य कराने का प्रयास करवाते हैं।
जिससे मरीज की जान बचाई जा सके और यहां वो सभी सुविधाएं प्रदान की जाती है जिससे अधिक से अधिक समय बचत की जा सके। वहीं ICU रूम में जाकर रोगी का समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए मरीज की जान आसानी से बचाई जा सकती है और उसी प्रकार इस रूप में सभी चीजो का निर्माण किया गया है। लेकिन इस रूम में परिवार के सदस्यों को जाने की अनुमति नहीं दी जाती है।
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कोरोना वायरस के मरीज को वेंटिलेटर क्यों लगाना पड़ता है?
कोरोना वायरस की शुरुआत अक्सर खांसी और गले से होती है, लेकिन ये धीरे-धीरे आपके गले से नीचे उतरती जाती है। बाद में ये श्वसन तंत्र निचले हिस्सों पर असर डालने लगती है। वहां ये फेफड़ों की एयर सैक्स को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन जब फेफड़ों को अधिक नुकसान हो जाता है जैसे उसमें पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंचती है। तब वेंटिलेटर का इस्तेमाल किया जाता है। वेंटिलेटर कोई फेफड़ों के इलाज का उपचार नहीं है।
जब कोरोना द्वारा बनाए छोटे-छोटे एयरसैक में पानी जमा होने लगता है, जिसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ होने लगती है और आप लंबी सांस नहीं ले पाते हैं। इस स्टेज पर आकर रोगी को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। तब ऐसे में वेंटिलेटर फेफड़ों में ऑक्सीजन पहुंचाता है, क्योंकि वेंटिलेटर में ह्यूमिडीफायर भी होता है जो हवा में गर्माहट और नमी शामिल करता है और उससे रोगी के शरीर का तापमान नॉर्मल बना रहता है।
कितने गंभीर को वेंटिलेटर पर रखा जा रहा है
ऐसा देखा जाता है कि, लोग रोगी की मृत्यु के बाद अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हैं कि, उसे वेंटिलेटर पर रखकर चार्ज बढाएं जा रहे हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है। एक डॉक्टर का कहना है कि, जब तक रोगी का दिल चल रहा होता है वेंटिलेटर कार्य करता रहेगा। कहते हैं कि, रोगी की मृत्यु के बाद शरीर में अकड़न पैदा होने लगती है ऐसे में वेंटिलेटर लगाना सही नहीं होता है, क्योंकि शरीर में कोई भी अंग जब तक कार्य नहीं करता, तब तक वेंटिलेटर भी अपना प्रभाव नहीं दिखा सकता है।
साथ ही ये जरूरी नहीं है कि, रोगी को वेंटिलेटर पर लंबे समय तक रखा जाएगा, लेकिन कुछ असाधारण परिस्थितियों में रोगी को वेंटिलेटर की सुविधा दी जाती है और जैसे-जैसे उसे स्वास्थ्य लाभ होते हैं वेंटिलटर की सुविधा हटा दी जाती है। लेकिन कुछ क्रोनिक बीमारियां है, जिनमें रोगी ठीक नहीं होते हैं। तब बार-बार उन्हें वेंटिलेटर का सहारा लेना पड़ता है, जिसमें गर्दन की चोट, सर्वाइकिल जैसी बहुत सी बीमारियां हैं जो काफी लंबे समय तक चलती है और उससे रोगी को सांस लेने में दिक्कत होती है तो उसे वेंटिलेटर जैसी सुविधाएं प्रदान करते हैं।